आज का विचार

  सफलता  इंचों मे हासिल  की जाती है मीलो  मे नहीं
आप मिनट मिनट का हिसाब रखिये  घंटे अपना हिसाब खुद रख लेंगे

मन से निकल कर जब मन की उलझन पन्नों पर आती है
वह उलझन नहीं रह पाती और   कविता  बन जाती है
मेरी आँखों  ने   ऐसे   मंजर   देखे    है .
बेबस    की हंसी   और  दुःख  के समन्दर   देखे   है

धुप   मिट्टी  हवा  को भूल  गए
बीज  अपनी    धरा  को  भूल गए

अपनी   आँखों    मे
  लिख     दो  एक   कविता


अधरों  पे लिख कर तेरा नाम

गुनगुनाऊगी  मन मन मे   बेआवाज

महकेंगी तेरी सांसे

बिखरे हो हरसिंगार

  झूमेंगी पुरवाई

बदलेगा संसार 

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