1 पैसा तो है काम का ,पर है यह शैतान
पैसे से सब कुछ मिले, है तो यह बलवान ।
है तो यह बलवान, दुश्मन है सद्भाव का
देता है पद -मान, सिक्का चले प्रभाव का।
सुन चन्द्रा की राय, यह मीठी छुरी जैसा
बनो न इसके दास, नहीं है सब कुछ पैसा ।
2 जले दीप मन प्रीत के,हरे कलुष अंधियार
मन मे शुभता यह भरे,जग में हो उजियार ।
जग में हो उजियार ,सदा ही खुशियां रहती
मन में यह अरमान,दूध की नदियां बहती ।
मिटे द्वेष अभिमान, हृदय में अब प्रीत पले
झूमे आंगन द्वार, ज्ञान का जब दीप जले ।
3 माता की ही गोद मे, पलते हैं भगवान
मानव बनकर जगत में, करते जग कल्यान ।
करते जग कल्यान , लगे सबको मनभावन
लेते हैं शिशु रूप, करें लीला अति पावन। चन्द्रा करे प्रणाम,कहे हैं धन्य विधाता
ममता है अनमोल, जगत जननी है माता
4 मेरे भारत देश का,यही तिरंगा शान
लहराता आकाश में,इस पर है अभिमान ।
इस पर है अभिमान,सभी हम भाई भाई
सभी धर्म के लोग , हिन्दू मुस्लिम इसाई ।
आपस मे है प्यार, मन अभिमान स्वदेश का
तभी अलग पहचान, मेरे भारत देश का
5 जीते हैं जो जिंदगी, होकर के बेहाल
बड़ी उमर के लोग सब, पूछें यही सवाल ।
पूछें यही सवाल, हरे दुख कौन हमारा
सुखी रहें सन्तान ,सोच के सब कुछ हारा ।
झेल समय की मार,प्रेम से आंसू पीते
क्षमा दान का मूल,सोच कर जीवन जीते ।
6 : पीढ़ी दो के बीच में, कैसा चक्कर हाय
छोड़ें अपने देश को, यहां बसे हैं आय ।
यहां बसे है आय, याद है अपनी माटी
दूर हुआ है देश ,नही भूले परिपाटी ।
कहती चन्द्रा आज, बने हैं हम तो सीढ़ी
हम पर करती नाज, हमारी भावी पीढ़ी ।
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