Friday, 10 March 2023

दोहालय में प्रेषित दोहे....

दिन बुधवार---स्वतन्त्र दोहे

हाथों में भूगोल है,नजरों में आकाश
अहंकार के फेर में,होता महा विनाश ।
 
जब जब शिवता मौन थी,पुरुष काम का दास
रीति नीति बिन लोग सब ,छल बल आये रास

 सबके हित की सोच कर,करें विघ्न का नाश
सबका मिले सुकर्म तो , बिखरे कर्म प्रकाश

सब मिल कर के ठान लें, हो पुरजोर प्रयास
सब का हो सहयोग तो,बने नया इतिहास ।

 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा ,छ ग
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नमन दोहालय
शीर्षक - नित्य, नित सदा,,,,,

 जनम जनम से दूर हैं ,रही न उसकी याद
मन के भीतर बैठ कर ,नित करता सम्वाद ।

नित नित आगे बढ़ रहे,सारे जग के लोग
फिर हम पीछे क्यों हुये, लगा नकल का रोग ।

गहरी सांसे तो सदा ,   अन्तस का वरदान
तन मन को ताजा करें,लगता प्रभु में ध्यान ।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा ,छ ग
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स्वतन्त्र दोहे
खुशबू अपने देश की,होली का त्यौहार
रंग लिये खुशियां खड़ी,बांटे सबको प्यार ।l
 
रंग बिरंगे लोग हैं,उड़ता रंग गुलाल
हवा बावरी हो गई,चूमे सबके गाल. 

धूम मची है रंग की,बजते ढोल मृदंग
गली गली में उड़ रहे, बड़े  अनूठे रंग ।

दिवस फूल से खिल गये, चढ़ा बसन्ती रंग
हवा नशीली हो गई,मचा रही हुड़दंग 

लाल हरे पीले सभी, मिल जाएँ जब संग
 इस होली में देखना, खूब जमेगा रंग. 

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा ,छ ग
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साप्ताहिक आयोजन 2020 (रवि वार) 
कलम चढा लें सान पर,तीखी कर लें धार
जन जागृति का लक्ष्य ले,आओ करें विचार

बुझती चिंतन आग है, जला सकें इक बार
लेखन कर्म सफल बनें ,इस पर करें विचार 

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
बोस्टन


साप्ताहिक आयोजन -क्रमांक 201--स्वतन्त्र दोहे----
बुध से शुक्र-------
फूल सी नाजुक बिटिया, हमको इस पर नाज
इसकी क्षमता देख कर ,अचरज होता आज
   

समय चक्र रुकता नहीं, करलो कोटि उपाय
नब्ज समय की पकड़ लें ,इक पल व्यर्थ न जाय

नदिया के दो कूल हैं,बहे बीच में धार
जीवन तो इक नाव है,सुख दुख दो पतवार

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
बोस्टन,U S A


स्वतन्त्र दोहे -दिन शुक्र वार का शुक्रिया
सभी को प्रातः नमन

क्षितिज बिखेरे लालिमा, बांधे बन्दनवार
सूरज का शुभ आगमन,करना है सत्कार

पंख पसारे उड़ चला,मेघों के उस पार
सूरज छूना चाहता, कोशिश है बेकार

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
बोस्टन, नार्थ स्टेशन
19  ,1  ,2018

शीत लहर से कांपती,खूब जड़ाती रात
धुंध कोहरा सब चले, हिम की चली बरात. 

  साप्ताहिक आयोजन  गुरु  , शुक्र
स्वतन्त्र दोहे ----
फूल शूल दोनों रहें, इक दूजे के संग
अलग अलग हैं रूप गुण, करते कभी न जंग
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
बोस्टन

 साथ में देवे तकदीर हमारी
 कभी धनी अब भिखारी

 ताल पोखरे सूख रहे सब 
अब आई कूपों की बारी

 एक अकेली नारी हूं मैं 
घात  में बैठे सभी शिकारी 

जब से तुम परदेश गए हो 
सूद खोर हड़पे  खेती बारी

 कोर्ट कचहरी के चक्कर में 
बिक गए घर के लोटा थारी

डॉ  चंद्रावती नागेश्वर


Tuesday, 24 May 2022

भोर का वंदन ---

सुभोर ~
👏
प्रातः का वन्दन है,
स्वर्णिम अभिनन्दन है,
धरती के माथे पर 
सूरज का चंदन है !
         ~ वि. शुक्ल
   सिर  पर  आंचल की छाँव  रहे 
   कदमों में सुख का गांव रहे. 
       हर तीरथ  तेरे  पांव तले
       मां स्वर्ग सदा इस स्थान रहे.


👏
P
👏
मन सिहरा,ठहरा तनिक,देखा अप्रतिम रूप।
भोर सुहानी सहचरी , पसर गई लो ,धूप ।।
                ~ विश्वम्भर शुक्ल

ये जो है जिन्दगी ~
👌
बादलों सी मचलती रही जिन्दगी,
        चार दिन खूब छलती रही जिन्दगी,
हमने चाहा बहुत, साथ हम भी चलें,
        हमसे आगे निकलती रही जिन्दगी!
                     --- विश्वम्भर शुक्ल
ये जो है जिन्दगी ~
👌

Tuesday, 10 May 2022

मनपसंद प्रेरक़ रचनायें .....

गीतिका ~
👌
गौर से सुन अब हमें भी सर उठाना आ गया 
--------------------------------
आग पर हैं पाँव ,होंठों पर तराना आ गया,
आदमी को आदमी पर मुस्कराना आ गया।
-
तोड़ लेना डाल से मत पुष्प कलिका ने कहा,
गौर से सुन अब हमें भी सर उठाना आ गया।
-
पादुका पग की नहीं अभिमान है वह शीश की,
आँसुओं की नदी को अब खिल-खिलाना आ गया।
-
अब न रोके से रुकेगी वाग्धारा वेग की ,
सँग शिलाओं,पत्थरों के, जल बहाना आ गया।
-
मुट्ठियों में कैद हैं अब मौसमी सब आँधियाँ,
लोरियाँ अब चैन की जब से सुनाना आ गया।
 --- प्रो.विश्वम्भर शुक्ल
लखनऊ
👌
मैं  तुम्हारे प्रश्न का उत्तर नहीं हूँ,
अब किसी आघात को तत्पर नहीं हूँ।

देवता की तरह जो पूजा गया हो ,
माफ करना मित्र, वह पत्थर नही हूँ !

पुष्प जैसा निखरकर बिखरा बहुत मैं,
पर किसी की राह का कंकर नहीं हूँ।

सुधा पीने के मिले अवसर कभी जब,
पिया विष ही किन्तु मै शंकर नहीं हूँ ।

फिर नया अनुबंध लिखकर क्या करोगे,
अमिट स्याही से लिखा अक्षर नहीं हूँ !

स्वत: जन्मी वेदना का स्वयं साक्षी ,
निरर्थक संभावना का स्वर नहीं हूँ।
______ प्रो. विश्वम्भर शुक्ल
लखनऊ
जीवनामृत~
जिनसे जीवन मिला उन्हें हम वंदन कर लें,
श्रद्धा,नमन, आस्था से अभिनन्दन कर लें,
भक्ति-भाव, अनुरक्ति पूज्य हैं सदा हमारे
पुण्य-पुष्प अर्पित कर मन को चन्दन कर लें !
_______  विश्वम्भर शुक्ल
जीवनामृत~J---=---------=------=---==------
💝
खुश्बू बिखेरे पुष्प सी ,रस-धार दीजिए ,
      रचना की हो पहचान वो रफ़्तार दीजिए,
संकल्प श्रेष्ठ राष्ट्र का,हो सार्थक सृजन ,
      अपनी कलम के हाथ मे तलवार दीजिए !
                     ---   प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 
सुभोर ~
💝
जिन्दगी निर्मल हँसी है जो तुम्हारी है,
       चमक जाती है इक बिजली की तरह,
बाँटती फिरती है रंगों की दुआएँ देखो
       फूल पर उड़ती हुई तितली की तरह !
                              ~ विश्वम्भर शुक्ल
सुभोर ~
💝
मृदुल , कोमल  छुअन की अभिव्यंजना अच्छी लगी,
शुभ्र निश्छल प्रेम की परिकल्पना अच्छी लगी ,
छुपी वाणी में मधुर संदेश की जो शब्दिका है ,
सार्थक दिन कर गई , शुभकामना अच्छी लगी ।
          ----- प्रो.विश्वम्भर शुक्ल
सुभोर~
💝
प्यार देकर इन्हें पाले रखना,
        रिश्ते नाजुक हैं सम्हाले रखना,
जिन्दगी नाम तंग गलियों का 
          उम्र भर इनमें उजाले रखना !
                         ~ विश्वम्भर शुक्ल
सुभोर~
💝
प्यार देकर इन्हें पाले रखना,
        रिश्ते नाजुक हैं सम्हाले रखना,
जिन्दगी नाम तंग गलियों का 
          उम्र भर इनमें उजाले रखना !
                         ~ विश्वम्भर शुक्ल
 वीथिका से एक चित्र ~
👏💝👏
सूख गई थी सोई बगिया आज गई फिर भीज,
लो फिर हरी भरी हो बैठी गजब ज़िंदगी चीज ,
हवा बही ,बादल घिर आये,बदल गया मौसम 
फिर से स्वागत को आतुर है यादों की दहलीज !
                       ___ प्रो.विश्वम्भर शुक्
 . 
वसंत वर्णन  :---
डाली डाली झूमती, देख बसंत बहार. 
फागुन की पदचाप सुन, झूम उठा संसार.
: फागुन आया देख के, वन उपवन गुलजार
 है पूनम की रात में, होली का त्यौहार. 
 महुआ डोरे डालता,   टेसू मन मुस्काय 
 हाला पीये  प्रीत का , तितली भ्रमर बयार. 
 मन बैरागी डोलता, फागुन  ही बहकाय  
  फागुन कहे पुकार के, खुशियों   के दिन चार.
 नव पल्लव से हैं सजे, वृक्ष लता के देह 
 खिलती कलियां दे रही, फूलों  का उपहार.
 पीली चुनरी पहन चली, धरती मन हरषाय 
 रूप रंग कुछ दिन रहे, आओ कर लें  प्यार.
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भावों पर सीवन लगा 
देखा चारों ओर,
स्वारथ में डूबी मिली 
संबंधों की डोर।

पीड़ा उर में बाँधकर
अधर मढ़ी मुस्कान,
पथ पर अपने बढ़ चली
जीने की ज़िद ठान।
अभी जूझना है मुझे,
बंधन का ये ठोर।

हिय कलसी अमृत भरा 
रे मन ले संज्ञान,
अंतस डुबकी ले ज़रा
ये ही पावन  स्नान।
नवजीवन के साथ है,
अनुबंधों की भोर।

कर्मभोग ये योग तक
अपना ही ये लेख,
व्यूह रचित ये स्वयं का
अंतर्मन से देख।
मुमुक्ष-मन की चाहना,
प्रबंध बड़े कठोर।
कोकिला अग्रवाल 
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शब्द मंथन!! 

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प्रभात बेला
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भोर भयी चिड़िया चहकी महकी बगिया कलियां मुस्काती।
सूरज की किरणें धरती पर जीवन ज्योति सदा बिखराती।
वायु सुगंधित डोल रही सबके मन को कितना हरषाती।
शंख बजे घड़ियाल बजे करते सब सुंदर गीत प्रभाती।

जितेन्द्र मिश्र 'भास्वर

बैठ रश्मियों के स्यंदन पर "भोर"   सुहानी  आई।
ऊर्जा  का संचार  किया है नव  चेतना   जगाई।

सरसिज  खिले  सरोवर 
भँवरे गुन-गुन गुन-गुन गाये।
शीतल मदिर पवन तन-मन 
को स्पंदित कर जाये।
स्वर्णिम आभा बैठ क्षितिज में मन्द-मन्द मुस्काई।
ऊर्जा------------------------

सुंदर सुखद "विहान" प्रकृति की
सुषुमा हृदय लुभाती।
गूँज रहा है मधुर-मधुर स्वर
खगकुल करें प्रभाती।
खोल यामिनी का अवगुंठन वसुधा ली अँगड़ाई।
ऊर्जा------------------------------

रहो सतत गतिमान कर्म के 
पथ पर बढ़ते रहना।
एक लक्ष्य ले बढ़ो प्रगति की 
सीढ़ी चढ़ते रहना।
चीर निशा का तिमिर सुबह  किरणों ने राह दिखाई।
ऊर्जा-------------------------------

स्वेद बूँद से सींच धरा को 
कर देता है नन्दन।
कर्मशील मानव का दुनिया 
करती है अभिनन्दन।
मन में यदि विश्वास जिंदगी लगती है सुखदाई।
ऊर्जा का संचार हुआ है नव चेतना जगाई।

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                   -----सुधा मिश्रा

Friday, 1 April 2022

नव सम्वत का स्वागत , अभिनंदन, शुभकामना

,   01, 04, 2022 तीथि , चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 


आओ सभी ध्वज अपना लहरायें 
 नव फूलों से घरआँगन महकायें.
नव वर्ष हमारा उमंग भर लाया 
कोंपल मुस्कायें  मौसम हर्षायें  . 

        हिन्दू नववर्ष की आप सभी को बहुत बहुत बधाई  एवम  शुभकामनायें             
      
        डॉ चंद्रावती नागेश्वर


 सुमन सुगंधित  नित खिलें,मिले सदा ही प्यार 
 भरा रहे दामन सदा, खुशियां  नाचे द्वार.
 नया वर्ष भरता  रहे, नव उमंग का संग 
 सुख समृद्धि का वास हो, दुआ यही शत बार.

 डॉ चंद्रावती नागेश्वर

        हिन्दू नववर्ष की आप सभी को बहुत बहुत बधाई.
जन्म दिन की हार्दिक बधाई 
अशेष मंगल शुभकामनाएँ __

        *******

आज की सुबह जब आई है, 
ख़ुशियों की सौगात ले आई है |
कदम चूमे हरदम ख़ुशियाँ तो, 
जन्म दिन की अशेष बधाई है ||

***

हरदम  संग  बहारें  हों ,
और ख़ुशहाल नज़ारे हों |
वीरानी का कोई काम नहीं, 
सलमा चाँद सितारे हों ||

******

बहुत मुबारक जन्म दिन हो, दिल से दिल की सौगातें, 
मंगल कामना है अशेष, समझो दिल से दिल की बातें ||
दिन - रात तुम्हारे अधरों पर, यूँ सजी रहे मुस्कान सदा, 
हों  चाँदी  जैसे  दिन सभी  और  रहें  सुनहरी सब रातें ||

*****

कर्ण प्रिय कुछ बातें हों और अच्छी मुलाकातें हों ,
जन्म दिन हर दिन आए, बस प्रेम रस सौगातें हों |
आओ प्रिये सँवारे मिलकर, जीवन की बगिया हम, 
ख़ुशनुमा हो हर पल यों ही, ख़ुशियों की बरसातें हों ||

                        ✍ <>©<> श्यामल सिन्हा !👮!
03--मई --2022
*ए “सुबह ” तुम जब भी  
                    आना,*
     *सब के लिए बस "खुशियाँ"
                    लाना*
          *हर चेहरे पर “हंसी ”
                   सजाना*
         *हर आँगन मैं “फूल ”
                  खिलाना
    * जो “रोये ” हैं  इन्हें हँसाना *
         *जो “रूठे ” हैं  इन्हें 
                   मनाना,*
       *जो “बिछड़े” हैं तुम इन्हे
                  मिलाना*
      *प्यारी “सुबह ”तुम जब भी
                    आना*
      *सब के लिए बस “खुशियां”
                  ही लाना

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Saturday, 5 March 2022

2022 के स्वरचित संकलित गीत :-- यादों के कण



 

जल रही शमा भी रोशनी के लिए
ढल रही है रात रोशनी के लिए।

इक जुनून  मन में  वो लिए चले
शीश ये कुर्बान माँ भारती के लिए

इसी की कोख से जन्म हमने लिया
जिएं -मरें हम सभी देश के लिए

खड़े जहां वहीं से बढ़ें कदम कदम
कुछ तो करें देश के विकास के लिए

कौंधती दामिनी कह रही है  सदा 
चमक रहा  ये  रवि रोशनी के लिये 
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर  ,छ ग

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मुक्तक लोक का विशेष आयोजन 
"लो आ गयी महाशिवरात्रि"........

 नीलकंठ  बाघंबर धारी, ओम  नमः  शिवाय 
 गूंज  रहा धरती अंबर में,  ओम नमः शिवाय.  
 
शिव विवाह की पावन  तिथि में , शंखनाद गूंजे  
उमा का सिंगार  है अद्भुत ,  ओम नमः शिवाय.

 हे त्रिशूल धर जग हितकारी, शंभु  तुम्हें प्रणाम
 हे  शिव शंकर प्रलयंकारी, ओम नमः शिवाय.
 
 हे गंगाधर हे  त्रिपुरारी, गल नाग हार धर
 आशुतोष तुम अवढर दानी,ओम नमः शिवाय.

विपदा आन पड़ी है भारी, हे जगतारण शिव 
देवाधिदेव तुम महादेव, ओम नमः शिवाय.

 जग में तुम ही आदि अजन्मा, शरण गहें  तेरी
 दया करो भोले भंडारी, ओम नमः  शिवा
 डॉ चंद्रावती नागेश्वर
 सानफ्रांसिस्को 
 1 मार्च 2022
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भारत की गरिमा बढ़ती है, इसकी ही संतानों  से 
 खून पसीना खूब बहाते, डरें  नहीं बलिदानों से 

 देश किसी के  बने  नहीं है, खींची हुई रेखाओं से
 इसी  धरा पर हम  जन्मे हैं, भारत  के   दीवानों  से. 

 कर्ज चुकाते फर्ज निभाते, जान तिरंगे  में रहती 
 हरी भरी धरती की शोभा, खेतों और खलिहानों  से.
 रहें  प्रेम से बहु भाषा भाषी, रखते मन सद्भाव यहाँ 
 दया मूल है दान धर्म का. सीखा है विद्वानों  से. 


 नदी पहाड़ गाय भी पूजा,  बैल सर्प हाथी  पूजे 
 कृतज्ञता का ज्ञापन करना.सीखें हम गुणवानों से.

 देश  हमारा हमीं  देश से, इक दूजे से दोनों  हैं 
बुनियाद देश  की बनती  है , सैनिक  और  किसानों से . 

 लोक कथाओं लोक गीत में ,  जीवन सार समाया  है
 ॐ नाम चहुँ दिशि  बिखरे  हैं ,बन सुवास   बागानों  से. 
 खून बहा अनगिन  बेटों का, आजादी का सूर्य उगा
 संग समर्पण देशभक्ति के, रूप  दिया  अरमानों से.

 डॉ चंद्रावती नागेश्वर
 सानफ्रांसिस्को
09. 03. 2022
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वसंत  के दोहे :--
 तबियत  ढीली शीत की, रिपु सम लागे  मीत 
चहक  रही है धूप अब, पाकर सब की प्रीत. 

 शीत  विदाई ले रही, पीले पत्तों संग
 डाली डाली झूमती , लेकर  नई  उमंग. 
 
सुन आहट  ऋतुराज  की, बौराया  है  आम 
कलियों ने स्वागत किया, पूजित है अब काम

 पुष्प पालकी बैठकर, आया  है  मधुमास
  नृत्य करें हैं लोग  सब,   मौसम है अब खास.

 धरा सुंदरी ने  किया, फूलों से  सिंगार  
 जग आनंद विभोर है, देख बसंत बहार

 अपने पूरे रंग में , आता फागुन मास
 जीवन के सौंदर्य का, देता है आभास.  

पृथा कुमारी  से करे, फागुन प्यार अपार 
 फूलों की सौगात दे , करता है मनुहार.

डॉ  चंद्रावती नागेश्वर,
रायपुर,  छत्तीसगढ़
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हम यादों के कण-  चुन लेना, 
  याद  जरा हमको कर' लेना.

 सुधियों  के सूने कोने में, 
नन्हा सा दीप जला देना. 

 उत्सव  की कुछ  सौगातों में, 
बूंद  नेह  की  टपका देना. 

 पर्व  रोशनी  का जब आए,
भाव  पुष्प   एक  चढ़ा देना. 

 जो  भी  मेरे सखी  सखा  हों, 
    मीठी मुस्कान  हमें  देना.

भारत भू की मैं हूं रज कण, 
 गंगा जल  तर्पण कर देना.

 होली का पर्व मनाओ  तो,
चुटकी  भर रंग उड़ा देना. 

 हवा चले जब जब बसंत की, 
मन  की बगिया  महका देना . 

याद  आयें   दिवाली पर तो, 
हँस कर  इक दीप  जला लेना. 

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर 
रायपुर   छत्तीसगढ़
--------------*------------*--------------*-----------
आ गई दीपावली, 
दे रहे शुभकामना 
द्वेष  की दीवार थी,
 मिट गई वह भावना. 

मन दीपक जब जलते
 तभी उजाले हंसते, 
   उतारो अहम  मन से
 अब दूरी न पालना. 

चैन  की हो जिंदगी
 सोचो फिर दोबारा,
 भंवर से पार आए
  अब हमें तुम थामना.

  सोच ले तो निभे  यह 
 जोड़ने का पर्व है
  
. चलो बदले स्वयं को 
  अब हमें ना हारना. 

 दिन वही रात वही 
सोच  बदली हैं अभी
चल पड़े नव राह  पर 
 मौसम है सुहावना.

डॉ चंद्रावती नागेश्वर 
रायपुर छत्तीसगढ़
-------------*--------------*-----------*------------
-याद   करूँ ना  बीता हुआ जमाना
 याद नहीं वो  छूटा   हुआ   मुहाना.  

 कभी नहीं वापस आता बीता कल
  भोर नया है गीत नया अब गाना. 

 आओ मिलकर पौधे नए  उगाएँ 
  हमें बाग फूलों के अब नये सजाना.
अपनी मुट्ठी में है आज हमारा 
हर हालत में हमको  इसे बचाना 

 नहीं भीड़ में गुम होना है मुझको
 अलग  पहचान भीड़ से मुझे  बनाना
 डॉ   चंद्रावती नागेश्वर 
रायपुर छत्तीसगढ़
 
संध्या रानी 

बड़ी लगन से  करे प्रतिक्षा,सूरज की पटरानी है 
कठिन सफर से लौटे प्रिय की, करती वह अगवानी है. 

  आभा चमके  जल थल नभ में,रूप  छटा बिखराती  वह 
साँझ ढले सबके मन मोहे, रवि प्रिया  संध्या रानी. 

 दिन डूबे करते हैं तारे, छुपा छुपी का खेल सभी 
 महके जूही चमेली द्वार,  प्रिय की थकन मिटानी  है. 

 चहक  चहक कर थके पखेरू, तुलसी पूजन  की बेला आई 
 देव आरती की तैयारी, घर घर  दीप जलानी है 

 रहें  अडिग सूर्य कर्म पथ पर,  निज  कर्तव्य निभाते हैं  
 जीवनसंगिनी संध्या को, राह वही अपनानी  है।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर ,
रायपुर छत्तीसगढ़

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Friday, 25 February 2022

लघु कथा श्रृंखला---( 43 )सोनम के जज्बे को नमन . अनोखी माँ गणेशी,

" सोनम  के जज़्बे को नमन  है" 
           सन  2014 के  आम  चुनाव में   जब एक किन्नर ने  अमेठी  से  आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस पार्टी  के राहुल गांधी के खिलाफ  खड़ी  होकर  उसे चुनौती दी थी.तब वह पहली  बार अखबार की सुर्खियों में आई. 
यद्यपि  वह चुनाव नहीं जीत पाई पर उसके दमदार भाषण और तर्क संगत विचारों ने जनता को झकझोर कर  रख दिया था. उसके  पहले अठारह  साल की  उम्र में अजमेर की नगर निगम  की  काउंसलर रह  चुकी  है. 

         . उसके बादआमआदमी पार्टी  से  इस्तीफा  देकर  वह  मानवाधिकार आयोग की सदस्य 
बनी. कई समाज सेवी  संस्थाओं    से  जुड़  कर काम करने लगी. उससे प्रभावित होकर, समाज  
 वादी  पार्टी के अध्यक्ष ने नवंबर  2018 में सुलतान पुर से  चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया.  सोनम  किन्नर ने इस चुनाव में जीत का परचम लहराया. उसके  बाद  वह समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री बनी और दूसरी बार अखबार की सुर्खियों में छा गई. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसने इंटरव्यू देते हुए कहा कि -- राजनीति में आने का उसका एक विशेष उद्देश्य है. वह सैकड़ों वर्षो से समाज द्वारा उपेक्षित, प्रताड़ित किन्नर समुदाय  की  शिक्षा और आत्म सम्मान के लिए कुछ विशेष करना चाहती है. जो  भी पार्टी किन्नरों के कल्याण के लिए उन्हें  समाज में समानता का अधिकार दिलाने के लिए काम करेगी मैं उसके  साथ जी जान से काम करूंग़ी. 
 समाजवादी पार्टी ने उसे  गाड़ी. बंगला. गनर तो दिया, लेकिन किन्नर कल्याण बोर्ड की स्थापना  में जरा भी रुचि नहीं ली. इस बात से रुष्ट होकर उसने बाद में  समाजवादी पार्टी छोड़ दी.
        उसने  सुल्तानपुर मेंअपने बलबूते पर किन्नर आश्रम की स्थापना की, गरीबों जरूरतमंदों और सहायता की,उनकी शिक्षा स्वास्थ्य के लिए भी बढ़-चढ़कर काम किया.  कोरोना महामारी के समय, लॉकडाउन काल में जरूरतमंदों को निःशुल्क   भोजन उपलब्ध करवाया. स्वास्थ्य सेवा को सहज, सुलभ  बनाया. कोरोना के  दूसरे दौर में जब ऑक्सीजन की किल्लत बढ़ने लगी तब सुल्तानपुर में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए अपनी ओर से 5000/का चेक कलेक्टर को दिया.शीघ्र ही और पैसों की  व्यवस्था  का   आश्वासन भी दिया.  
: सुल्तानपुर में सोनम  किन्नर के रूप में नहीं वरन सम्माननीय नागरिक के रूप में जानी  और मानी जाती है. वह किन्नरों की शिक्षा स्वास्थ्य और सामाजिक सम्मान के लिए मरते दम तक संघर्षरत रहने के लिए कटिबद्ध  है. 
         भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने  उसे  उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री का दर्जा दिया है और किन्नर कल्याण बोर्ड की स्थापना कर उसका उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. सोनल  जैसे  कुछ  किन्नरों के  अथक  प्रयासों  ने  यह  सिद्ध  कर दिखाया  है  कि व्यक्ति ठान ले तो  समाज की  दशा. और  दिशा  बदल  सकता  है. उन्ही  के  प्रयासों से  कुछ प्रतिभावान  किन्नर  युवा-- आई.  पी.  एस,  जज, और  आई. ए. एस. बनने  की  राह  पर  हैं 
 डॉ चंद्रावती नागेश्वर
  सानफ्रांसिस्को 
25.02.2022
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"अनोखी  माँ   गणेशी "

            आज गणेशी  का  चिर  संचित  सपना  पूरा हुआ.उसकी बेटी ललिता को  बिलासपुर के  त्रिवेणी भवन में होने वाले  महिला  दिवस  के राज्य स्तरीय कार्य क्रम  में आज विषेश  सम्मान मिलने  वाला है. उसे  एम. बी. बी.  एस.  परीक्षा की प्रावीण्य में सूची में पांचवां स्थान मिला  है. विशेष बात यह है, कि ललिता के साथ ही उसकी  मां  गणेशी पाटिल जो   उसकी एकल  अभिभावक  है, उनको  भी   "मातृ गौरव "सम्मान मुख्य मंत्री  के द्वारा किया जाएगा  . 
  कार्यक्रम में जब ललिता को मंच पर बुलाक़र सम्मानपत्र  पत्र दिया गया, तब ललिता ने अपनी मां को भी मंच पर बुलाने की अनुमति मांगी ललिता ने कहा कि.मेरी इस सफलता का श्रेय मेरी माँ  को  जाता है. उनके  कठिन संघर्ष,  प्रेरणा, और मेहनत से मैं आज इस मुकाम तक पहुंची हूं.  यह मैं  उन्हें  सौंपना  चाहती  हूँ.
  इसके बाद श्री गणेशी बाई पाटिल को  मातृ  गौरव सम्मान प्रदान किया गया. उन्होंने अपना परिचय देते हुए सभा में  उपस्थित सभी लोगों  को यह बताया --
        मैं श्री गणेशी बाई  एक सामान्य परिवार में अपने माता पिता की तीसरी  संतान पुत्र के रूप में पैदा हुई. गणेश चतुर्थी के दिन  दो बेटियों  के  बाद  मेरे जन्म से  परिवार में  खुशियों  श्री  गणेश  हुआ, मेरा नाम  श्री गणेश  रखा  गया .  लेकिन विघ्न,जिल्ल्त,नफरत मेरे जीवन का  हिस्सा  बन  गए. और  शुभ लाभ  मुझसे  सदा  दूर ही रहें.कदम कदम पर  उपेक्षा, नफरत, परेशानियां मेरी दोस्त बन गईं. माँ  की मृत्यु, सौतेली  माँ का  आना हुआ. किशोर उम्र तक आते-आते मुझ में असामान्य से परिवर्तन होने लगे 
मेरे माता-  पिता, साथी,रिश्तेदार  मेरा मजाक उड़ाने लगे.  
पिता ने मुझे घर से निकाल दिया. ट्रेन में एक किन्नर ने मुझे  पहचान लिया,अपने समुदाय में  शामिल  कर  लिया. मुझे किन्नर समाज के तौर तरीके सिखाए गए. मुझे पेट की भूख मिटाने के लिए नाचना, गाना, भीख मांगना पड़ा.  लेकिन यह सब  मेरे स्वाभिमान को आहत  करता था.मेरा एक गुरु भाई दक्षिण भारत के विख्यात ब्राह्मण परिवार से था. अब  हम  एक और एक मिलकर ग्यारह बन गए. दोनों ने मिलकर बीड़ी बनाने का काम शुरू किया.अब किन्नर समुदाय के लोग ही हमारा मजाक बनाने लगे. लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी. हमारे साथ कुछ और लोग शामिल हो गए. हमने किन्नर समुदाय के  उत्थान का बीड़ा उठाया. सेक्स वर्कर, एच . आई.   वी.  पीड़ितों   के  बच्चों  के कल्याण  के लिए  छोटी  छोटी  संस्थाएं बनाई और हमें जन सहयोग  भी  मिला. कटनी  की  प्रथम किन्नर महापौर से  आर्थिक सहायता और मार्गदर्शन भी मिला   
    इस  बीच एक दिन  डेढ़  महीने   की लाली कूढ़े  के ढेर में मिली.  उसे  मैंने अपने घऱ  ले आया.  उसे पालना एक चुनौती  भरा काम  था. छोटा  बच्चा सम्हालने  का कोई अनुभव  न होते हुए भी  मैंने  उसे  पालने  का निश्यच  किया. लाली  आधी रात को जब मेरे पेट पर अपना हाथ रख कर सोई तो मेरे मन में ममत्व का भाव जाग उठा. मेरे हृदय के अंदर एक मां ने जन्म लिया.  मुझ किन्नर को जो  दुनिया की नजरों में ना स्त्री ना  पुरुष था.  एक अपूर्ण मानव को उसने संपूर्णता से भर दिया.एक माँ  केवल तन  का ही नहीं  मन , बुद्धि, सोच,व्यवहार,  संस्कार संपूर्ण  व्यक्तित्व के सुसुप्त  बीज का  अंकुरण  करती  है.
   भारत  में  अर्द्ध  नारीश्वर   भगवान शिव की महिमा  गान और  भक्ति  करने वाले हमारा  खूब  अपमान  करते हैं. हमें  भी  तो  भगवान  ने  ही  बनाया है. ये  क्योँ  भूल  जाते हैं  ????  
 शिक्षा, संकल्प और प्यार से  महा परिवर्तन संभव है . मैं  शुक्रगुजार हूँ, उस  नन्हीं  सी बच्ची की,  जिसने मुझे स्त्रीत्व और मातृत्व से  भर  दिया. इस  इस समय मेरे पास 7 बच्चियां है जो समाज के द्वारा उपेक्षित, प्रताड़ित और  क्रूरता  की  शिकार  हुई हैं.  कोई 6 महीने की, कोई 12 महीने की, कोई 2 साल की, कोई 3 साल की मेरी गोदी में आई थी. आज कोई वकालत  कर रही है कोई टीचर, कोई  इंजीनियर कोई वकील  बनने की राह पर है.
       मैं  श्री  गणेशी अर्धनारीश्वर  रूप  में  
   आपके   सम्मान के  लिए  दिल से  आभारी  हूँ ..... 
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
 दिनांक 15, 2, 2022

💐बोल अनमोल💐
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हृदय पटल पर हर्ष का रखना सुन्दर चित्र।
कैसा भी मौसम रहे खिलो पुष्प से मित्र।।
                          ~प्रो.विश्वम्भर शुक्ल

Thursday, 7 October 2021

लघुकथा श्रृंखला 42 --- " स्वागत उज्ज्वला का " बहादुर बेटी सरोज , "टीचर जी कीतीसरी सन्तान " ममता की तड़प,

 शीर्षक --"-स्वागत  उज्ज्वला का" (समानता की नई पहल)
        आज अंजना जी अपने पति  अमित अग्रवाल जी के साथ बुलन्द शहर से महाराष्ट्र के पुणे शहर के लिए रवाना हुई हैं । पति तो ऊपर  जाकर सो गए। अंजना की आंखों में दूर दूर तक नींद नहीं है । उनका गुजरा हुआ कल उनके सामने आ कर खड़ा हो गया । शादी के नौ साल हो गए ।आज भी उनकी गोद सूनी है । परिवार वालों और रिश्तेदारों के ताने सुन सुन कर हताश  हो गई थी। डॉक्टरी जांच से पता चला कि  --- वे माँ नहीँ बन सकती । पति दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हैं । किसी ने कहा  बच्चा गोद ले लो ।  किसी ने कहा  सेरोगेट मदर की सहायता ले लो । 
पर वे नहीँ मानें ।
    अमित जी ने कहा --  मुझे शादी के सात वचन अच्छी तरह याद हैं । विवाह के  हर सालगिरह के दिन हम दोनों उसे दोहराते हैं।
  हम एक दूसरे  के पूरक हैं । कुछ न कुछ कमी हर इंसान में होती है । हमे उन कमियों और खूबियों के साथ निभना है।
 शायद ईश्वर हमे सन्तान न देकर कुछ और अच्छा काम कराना चाहता है । उन्होंने अंजना से कहा --  हम ऐसा बच्चा गोद लेंगे,  जिसे समाज नहीँ स्वीकारता ।  लोग कुत्ते ,बिल्ली, खरगोश,कछुवा , बन्दर ,यहाँ तक कि सांप भी पालते हैं ।
 हम किन्नर बच्चा गोद लेंगे । उन्होंने गूगल सर्च में डाल रखा था ।अब जाकर उनकी प्रतीक्षा पूरी हुई है ।
 आज वो दिन आ गया है, कि हम ऐसी ही 4 माह की एक   को गोद लेने जा रहे हैं।  जिसे कोई अपनाने को तैयार नहीं है ।यहाँ तक ,कि सरकारी अनाथ आश्रम ने भी अपने यहाँ रखने से इनकार कर दिया है ।
             इस नवरात्रि में हमारे लिए इससे बड़ा उपहार क्या हो सकता  है?
उन्होंने  किन्नरों की ,लांछित ,प्रताड़ित ,उपेक्षित जिंदगी को बहुत करीब से देखा है। उनकी पीड़ा को पहचाना है। उनका एक मित्र किन्नर है । अमित जी भिलाई में मामा के घर मे रहकर  पढ़ाई करते थे। ट्रेन से रोज भिलाई से रायपुर कालेज पढ़ने जाया करते थे , तभी  उससे पहचान हुई । जो  दोस्ती में बदल गयी । उन्होंने  उसकी पढ़ाई में आर्थिक सहायता की  । बैंक से लोन दिलवाया । आज वो बड़े  दुकानदार हैं ।
               बुलन्दशहर में अमित जी के चचेरे भाई रहते हैं।
  वहां उनकी पुश्तैनी जमीन है।वो दोंनो मिलकर बुलन्दशहर में किन्नरों के लिए एक  धर्मशाला बनवाया है। जो भारत का इस तरह का पहला धर्म शाला है । पहले समाज से  चोरी छुपे मित्र  से मिलते ,उसकी सहायता  करते । अब बेटी को गोद लेने का फैसला करके,  बिना किसी हिचक के  इस काम को करने का बीड़ा उठाया है । अब तो इस काम में उनकी पत्नी भी समर्पित है ।
         अंजना जी ने  चेतना किन्नर कल्याण समिति बनाई है जिसमे उनकी तरह समर्पित भाव से काम करने वाली  सात महिलाएं और हैं। वे सातों   बच्ची के स्वागत में स्टेशन पर आने वाली हैं।  गोद पुत्री के  नामकरण संस्कार  पर बहुत बड़े जश्न का आयोजन  होने वाला है  । सबने मिलकर सोचा है कि  उसका नाम उज्ज्वला रखा  जायेगा ।  इसके बाद किन्नरों के लिए एक आवासीय स्कूल का भी  शिलान्यास  किया जाएगा।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर 
 रायपुर   छ  .ग.
 6  '10  20 21
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 शीर्षक ---" बहादुर बेटी सरोज "
बस्तर के बीहड़ जंगल मे इंद्रावती नदी के किनारे बसे गांव सेन्द्रीपाली में परिवार के साथ रहती है।
मिट्टी का कच्चा घर है खेती किसानी करके दो जून का जुगाड़ हो जाता था। एक दिन कुछ नक्सली आये  और पिता को बाहर बुलाकर बात किया । पिता के इनकार करने पर पिता ,मां ,बड़े भाई सब को गोली से मार डाला।
उस दिन सरोज अपने मामा के घर गई हुई थी। उसकेबाद से वह अपने घर कभी नहीं लौटी ,आज दस साल बाद  पढ़ लिख कर नौकरी जॉइन करने पुलिस बनकर थाने में आई है।
   थाने दार एवम अन्य पुलिस कर्मियों ने बड़ी गर्म जोशी
से उसका स्वागत किया।
जब पुलिस विभाग में उसकी पोस्टिंग हुई तो कोंटा जिला मुख्यालय में पूछा गया - कि महिला है -नई नौकरी है-नई उमर की है । कुछ दिन  यहीं  अटेच कर देते हैं  । 
सरोज ने बड़ी विनम्रता से कहा -  मैं सेन्द्रीपाली एरिया में जाना चाहती हूं  । थानेदार ने ध्यान से उसे देखा ।फिर कहा - उस बीहड़ जंगल के नक्सली इलाके में पग पग पर
मौत का खतरा मंडराता रहता है ।
सरोज ने कहा -- मौत तो एक दिन आनी ही है सर,  मैं किसी मकसद से पुलिस विभाग में आई हूँ । मेरी मौत तो आज से दस साल पहले हो गई होती । ईश्वर ने मुझे मेरे माता , पिता भाई के कातिलों से बदला लेने ही जिन्दा रखा है। 
मैं खतरों से नहीं डरती  । बहादुरी  से उनका सामना करते हुए अपने लक्ष्य को पाना चाहती हूँ । 
  खुश होकर थानेदार ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा ---  सच कहती हो सरोज "   बहादुरी "  सिर्फ पुरुषों की
जागीर नहीं है  यह तो एक जज्बा है ,जुनून है।
ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे ,कामयाबी दे  ।

  डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर ,छ ग
9 , 10 ,2021

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शीर्षक  ---  "तीसरी सन्तान"

                रमेश के पिता मोहित विश्वास  भोपाल के केंद्रीय विद्यालय में  T.G .T. हैं ।  आजकल वे अपने बेटे के कारण बहुत परेशान रहते हैं। रमेश  अभी नवमी ही पास किया है । रमेश शुरू से शान्त स्वभाव का, लेकिन पढ़ने में होशियार है । पर अब कुछ दिनों से स्कूल नहीं जाना चाहता, पढ़ने लिखने में उसका मन नहीं लगता। एक टीचर के लिए यह बड़े अफसोस की बात है। कि उसका खुद का बेटा पढ़ना
ही नहीं चाहता ।     
 वह स्कूल पिता के साथ ही जाता।पर असेम्बली के बाद  मौका  देख कर  स्कूल से गायब हो जाता । अकेला ही मन्दिर में,गार्डन में,नदी के किनारे, घण्टों बैठा रहता। मार पीट कर, सजा  देकर ,समझा कर देख लिया  कोई सुधार नही हुआ। 
उसे साइकोलॉजिस्ट को दिखाया गया, डॉक्टर ने परिवार की हिस्ट्री पूछी तो उन्होंने बताया -लक्ष्मी और ललिता  नाम की दो बेटियों के सात साल बाद बहुत मन्नतों के बाद उनके यहाँ  पुत्र जन्मा है। उनके दादा के नाम पर रमेश नाम रखा गया।उसे सबसे ज्यादा लाड़ दुलार मिलता है।
          जब डॉक्टर ने उससे अकेले  में कई बार बात किया। तो उसने बताया ,कि मेरे साथियों की दाढ़ी मूछ निकलने लगी है ।पर मुझमे इस तरह का कोई बदलाव नहीं आया। सब मुझे चिकनू  कहकर चिढ़ाते हैं । मेरे सीने में उभार आने लगा है । मेरे साथी मेरा मजाक बनाते हैं। डॉक्टर ने कहा कि --  वास्तव में रमेश लड़का नहीं लड़की है ।इस उम्र में हार्मोनल चेंज आते हैं ।ये चेंज स्पष्ट संकेत दे रहे हैं । इसे दिल्ली  एम्स हॉस्पिटल में दिखाना होगा। मोहित को सरकार की ओर से फ्री मेडिकल सुविधा मिलती है । दिल्ली में  सारी जांच हुई वहां पता चला ,कि वह  किन्नर है।उसके शरीर में मेल हार्मोन नहीं बन रहे हैं ।फिमेल हार्मोन ही विकसित हो रहे हैं। तमिल नाडु में सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। अविकसित बाह्य अंग को  हटा दिया जाएगा। ऑपरेशन के बाद वह सामान्य जिंदगी जीने लगेगा । मोहित सर ने अपना ट्रांसफर तमिलनाडु  में करवा लिया।     
    आपरेशन के बाद  रमेश रमा बन गई ।  रमा अपने इस नए रूप में बहुत खुश है।।डॉक्टरों ने बताया कि रमा की शादी हो सकती है ।वह सहज रूप से अपना दाम्पत्य जीवन जी सकती है। पर सन्तान को जन्म नहीं दे सकेगी।संसार में ऐसे कितने ही दम्पत्ति हैं जिनके सन्तान नहीं  हो पाते । रमा भी किसी अनाथ बच्चे को गोद ले सकती है । कोर्ट में  डॉक्टरी प्रमाण पत्र  देकर नाम परिवर्तन कराया गया ।
            तीन साल के अन्तराल के बाद रमा ने फिर से पढ़ाई शुरू की ।  होम ट्यूशन और कड़ी मेहनत के बाद बारहवीं बोर्ड की परीक्षा 75℅ अंको से पास किया। चेन्नई के ब्रिलिएंट कोचिंग सेंटर  मे P M Tकी तैयारी किया। पी .एम .टी  . में चयनित हुआ। कुछ दिनों बाद चेन्नई मेडिकल कालेज में उसका  एडमिशन होने वाला है । पांच साल बाद पढ़ाई से कतराने वाला वही बच्चा  डॉ रमा विश्वास बनकर किन्नरों के पुनर्वास हेतु काम करने के लिए कटिबद्ध है।
                      मोहित सर का पूरा परिवार उन दिनों  बड़े मानसिक तनाव को झेला। बड़े धैर्य और समझदारी से आसन्न परिस्थितियों का  सामना किया। आज उन्हें इस बात का गर्व है ,कि उनकी तीसरी  सन्तान  डॉक्टर बनने की राह पर चल पड़ी है। उसमें प्रतिभा,क्षमता  ,और इच्छा शक्ति की कोई कमी नहीं है । वे तो यह सोचकर खुश हैं, कि उनकी रमा समाज सेवा के क्षेत्र में नया आयाम गढ़ने वाली है ।
 डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर   छ ग
दिनांक 14  ,10  ,2021

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शीर्षक --"तड़प नवजात के लिए " /ममता की तड़प

          आज कंचन के  नवजात पुत्र को गुजरे 10दिन हुआ है। आज नव प्रसूता को हास्पिटल से छुट्टी मिली है। वह किसी से बोलती भी नहीं ।खाना पीना सब त्याग दिया है।  दुखी मन से खिड़की के पास बैठी रहती  है ।   उसकी आँखों मे होलिका दहन की       धधकती ऊंची ऊंची लपटें  दिखाई देती हैं। उसके मनके अंदर भी इसी तरह की शोकाग्नि की लपटें उठती रहती है । आँखों से अविरल अश्रु प्रवाहित होते रहते हैं। अपने किस्मत को कोसती रहती थी। पति ने एक दिन की भी छुट्टी लेकर उसे ढ़ाढ़स नहीं बंधाया।
 उसके पति प्रकाश कालेज में पढ़ते थे तब किसी लड़की को पसन्द करते थे।  शादी  करना चाहते थे। किंतु प्रेमिका की शादी कहीं और हो गई। इसके तीन साल बाद कंचन से प्रकाश की शादी हो गई।  कंचन का सांसारिक जीवन   सामान्य किंतु  भावशून्य ही रहा।  ससुराल वाले समझाते हैं,धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा।
बच्चा कोख में आया तब से कंचन के मन में उम्मीद जागी कि उसे नहीं  तो अपने बच्चे को चाहेँगे। बच्चा दोनो को
जोड़ने की  कड़ी बनेगा।
          होली के दिन ही उसकी पहली संतान आलोक का जन्म हुआ ।पूरा हास्पिटल उसके रुदन की आवाज से गूंज उठा  था ।कस्बे का कुल40 बेड का प्राइवेट अस्पताल था 
कंचन की  हालत  ठीक नही थी ।वह दर्द से छटपटाती रही । ऑपरेशन के लिए ब्लड की जरूरत थी। पर वह अकेली है ।उसके पति तो हास्पिटल में भर्ती करके नाइट ड्यूटी पर चले गए ।तब फोन और मोबाइल का जमाना नहीं था । 
   रात में लाभग ड़ेढ़ बजे मरणांतक पीड़ा झेल कर बेटे को जन्म दिया । उसके बाद उसकी आंखे बंद होने लगी। वह अचेत हो गई । कुछ भी याद नहीं रहा।  सुबह 4 बजे उसकी मूर्च्छा टूटी । दोनो हाथ टेप से चिपके हुए थे बाटल लगा हुआ था । थोड़ी दूर पर नवजात बच्चे  के कार्ट में से लगातार रोने की आवाज उसे बेचैन कर रही थी। उसका मन कर रहा था ,कि बच्चे को उठा कर सीने से लगा ले पर वह करवट भी नहीं ले सकी।उसने शक्ति भर जोर लगा कर  आवाज लगाई सि..स्टर...सि...स्टर....
 दरवाजे पर ऊंघती सफाई कर्मी नर्स को बुला लाई । उसे स्टेचर पर दूसरे रूम में शिफ्ट किया गया । कंचन ने 
कहा ---सिस्टर मेरा बच्चा मुझे दे दो ---
 सिस्टर---अभी  नहीं । तुम्हारे पति के
आने के बाद।
           कंचन बडी बेसब्री से पति का इंतजार करने लगी ।उसे लग रहा था ,कि दीवार घड़ी का कांटा  जल्दी क्यों नहीं बढ़ रहा है। शाम को उसके पति आये साथ मे पास पड़ोस की5- 6 लेडिस भी मूक खड़ी हो गई । 
कंचन नेपति से पूछा -- हमारा बच्चा कहाँ है??? मेरे पास लाते क्यों नहीं???
मैं अभी आया कहकर पति बाहर निकल गए ।
 मोहल्ले वालों से पता चला कि --- उसका बच्चा सुबह 6बजे दम तोड़ चुका है। मुझे मेरा बच्चा चाहिए ..... 
चाहे मरा हुआ हो या जिंदा .....
एक बार तो उसे गोद मे लेने दो ....
सीने से लगाने दो ....  नौ महीने तक मैंने हर पल  अपनी हर धड़कन के साथ उसके हर  स्पंदन को महसूस किया है ।उसके जन्म के बाद मुझे मौत क्यों नहीं आई । अब मैं जी कर क्या करूंगी ??
  कभी वह ट्रक के सामने जाने की कोशिश करती।कभी उसे लगता कि घर के पास वाले तालाब में जाकर जान दे दे । 
  उसका पति ही उसे मरने के लिए हॉस्पिटल में छोड़ कर  चला गया । कैसा हृदयहीन  पिता है ,जिसे अपने रोते हुए नवजात बच्चे को गोद मे लेकर की चुप कराने की चाहत नहीं जागी। हॉस्पिटल के अनजान,बेगाने लोगों के बीच प्रसव पीड़ा से तड़पती पत्नी को छोड़ कर चला गया ।
 ऐसा बेदर्द औऱ  लापरवाह आदमी भी हो सकता है ।सामान्य इंसान के बारे में यह कल्पना नहीं की जा सकती। सकती। कंचन को  उसके  मायके वाले आकर ले गए । बड़ी मुश्किल से उसे सम्हाला।  वह  अपने पति के पास वापस आने को किसी भी तरह राजी नहीं हुई । पति नाम के रिश्ते से उसे नफरत हो गई । उसे लगता कि उसका बच्चा बदल दिया गया । पति वहाँ होता तो  उसका बच्चा नहीं मरता ।और यदि मान लो मरता भी तो पिता की बाहों में दम तोडता, उसे मृत बच्चे को क्यों नहीं दिखाया गया ??
  उस रात केवल कंचन की ही डिलेवरी हुई थी। हॉस्पिटल 
का रिकॉर्ड  में यही दिखाया गया।  जीवित मेल चाईल्ड 22 मार्च सन 1979 नार्मल डिलेवरी 5पौंड  कंचन सहाय पति।प्रकाश सहाय उम्र 26 वर्ष .......
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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