Tuesday 24 May 2022

भोर का वंदन ---

सुभोर ~
👏
प्रातः का वन्दन है,
स्वर्णिम अभिनन्दन है,
धरती के माथे पर 
सूरज का चंदन है !
         ~ वि. शुक्ल
   सिर  पर  आंचल की छाँव  रहे 
   कदमों में सुख का गांव रहे. 
       हर तीरथ  तेरे  पांव तले
       मां स्वर्ग सदा इस स्थान रहे.


👏
P
👏
मन सिहरा,ठहरा तनिक,देखा अप्रतिम रूप।
भोर सुहानी सहचरी , पसर गई लो ,धूप ।।
                ~ विश्वम्भर शुक्ल

ये जो है जिन्दगी ~
👌
बादलों सी मचलती रही जिन्दगी,
        चार दिन खूब छलती रही जिन्दगी,
हमने चाहा बहुत, साथ हम भी चलें,
        हमसे आगे निकलती रही जिन्दगी!
                     --- विश्वम्भर शुक्ल
ये जो है जिन्दगी ~
👌

No comments:

Post a Comment