मुक्तक लोक 484
स्वाभिमान है हिन्दी, हिन्दी काव्य सलिला 15-9-23
सहज सरल है भाषा हिंदी , याद रखो
देश वासियों.
यही विरासत है पीढ़ी की, याद रखो देश प्रेमियों.
भारत के जन मन की बोली
सुन ले जो उसकी ये होली.
दिल से दिल की बात कहे
बंद कपाट हृदय के खोली.
इसे संवारो सब मिलकर के ,बंधु सखा बहन भाइयों .
सहज सरल है भाषा हिंदी , याद रखो देश वासियों.
विज्ञान के मानक पर खरी
शब्द अर्थ से है हरी भरी .
बाहों में समेटे व्याकरण
रस अलंकार की लगे झरी.
मन भूमि संस्कारित करती, ना भूलो सुत प्रवासियों.
सहज सरल है भाषा हिंदी, याद रखो
देश वासियों.
अपनी बोली अपनी भाषा
हो उन्नत सबकी अभिलाषा.
मान देश का हमें बढ़ाना
हो विकास सबकी है आशा,
मानवता ही धर्म हमारा , बढ़े चलो कर्म योगियों
सहज सरल है भाषा हिंदी ,याद रखो
देश वासियों.
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
रायपुर छत्तीसगढ़
14. 9. 2023
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