1 मान देता है तभी जग,हो मनुज गुणवान
जीत लेता दिल गुणी जो ,हारता धनवान।
जान लो निश्चित बुरे दिन,आ गये हैं पास
मन रहे यदि बुरे के वश , होय सत्यानास।
2 आदमी भारी पड़ा है,देख लो सौ बार
हौसला थामे खड़ा है,मान ले क्यों हार ।
आंधियों से लड़ पड़ा ये,लक्ष्य से है प्यार
अनंद मय जीवन रहे,है यही उपहार
3 छंद के बादल बरसते,पड़ रही बौछार
शब्द ही बूंदे बनी है, भाव रस की धार ।
कागजों की नाव लेकर,है कलम पतवार
गुनगुनाते हम चले हैं, ताल के उस पार।
4 शांत मन कोशिश किया है,देख लो इस बार
मार्ग दर्शन है तुम्हारा,मैं न मानी हार ।
हौसला तुमने दिया है,हो रहा उद्धार
मुश्किलों से मैं लड़ी हूँ, आ गई हूँ पार ।
5 विश्व के इस मंच पर ही ,जो बने दिन रात
चन्द्र सूरज क्रम बनाते,सांझ हो फिर प्रात ।
, एक क्रम से सुख दुख खड़े ,हो जहाँ शुरूआत
है परख होती इसी से,जांच लें औकात ।
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