1 आशायें जीना सिखलाती,
मन खुश हो तो धरती गाती ।
आशा दुख मे साथ निभाती,
ममता का आभास दिलाती ।
2 बालक निश्छल मन के होते,
बीज खुशी के मन में बोते ।
चिंता फिकर नहीं ये करते ,
प्रेम भाव को खूब समझते ।
3 काले बादल घिर घिर आये ,
बरसें बादल मन को भाये ।
निखरी धरती मन हर्षाये ,
दादुर मोर पपीहा गाये ।
4 बादल नभ में जब इतराये ,
विरही को यह तनिक न भाये ।
चमक चमक बिजली इठलाये ,
कभी हंसाये कभी रुलाये ,
5 मेघ अजब से रंग दिखाये ,
कभी गगन को घेरत आये ।
सूरज भी भय से छिप जाये ,
गरज गरज के खूब डराये ।
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