1 वह बचपन हम भूल न पाते,
छाता लेकर घर से जाते ।
पूरी तरह भीग फिर आते ,
घर पर डांट बहुत हम खाते ।
2 डूब डूब के खूब नहाते ,
कीचड़ मिट्टी से सन जाते ।
, आंगन पोखर हमे बुलाते ,
कागज की हम नाव चलाते ।
3 रितु ग्रीषम सन्देश पठाये ,
हुलसत सूरज गले लगाये ।
कोमल किरण अगन बरसाये ,
धीर पवन भी दहकत धाये ।
4. लता वृक्ष सारे मुरझाये ,
धरती अम्बर सुलगत जाये।
बरगद पीपल चँवर ड्डलाये ,
शीतल जल ही प्यास बुझाये ।
5 गाती कोयल मधु रितु आना ,
वन उपवन में फूल खिलाना ।
सबके मन में प्रीत जगाना ,
कांटे चुन कर फूल बिछाना ।
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