ब,1 मन है गहन हम तो चलें,गहरे उतर करके वहीं
चुप तो रहें कुछ देर हम, बैठें जरा रुक कर कहीं ।
बातें करें उससे कभी,आवाज फिर उसकी सुनें
हर कदम पर वह साथ दे, संकेत की कड़ियाँ बुन
2 जीवन मरण तो चलता सदा,कोई अमर रहता नही
फल कर्म का पाते सभी,सबका रहे खाता बही ।
माफी यहाँ मिलती नही,यह है नियम जग के लिये
मानव करे सत्कर्म तो,सुखकर धरा सब के लिये ।
4 यह देश है विकसित बहुत,अंग्रेज हैं वासी जहां
है प्रेम सबको देश से, हैं लोग अनुशासित यहां।
सब छल कपट से दूर हैं ,बेबात तो लड़ते नहीं
पाबन्द ये हैं समय के ,पल पल समेटें हर कहीं।
5 तुम वंदना करते रहे,पथ कर्म का भूले सभी
सबके हृदय में है वही,दिल में जरा देखो कभी।
अपराध मानव खुद करे,दोष किस्मत को ही मढ़े
वह सोचता खुद को चतुर,बचने बहाने वह गढ़े।
दोष किस्मत को ही दिया/दोष किस्मत को ही मिले
फिर भी वही शिकवा किया
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