1 : प्रेम तो भारी पड़ा है,एक क्या सौ बार
कारगर है प्रेम भी तो, खूब करता वार ।
आदमी मृत प्राय होता,प्रेम फूँके प्राण
प्रेम की है ताकत बड़ी , खोज लो न प्रमा
2 बोल हों सबके मधुर तो, हो सही आचार
लोग मर्यादा रखें तब ,होउचित व्यवहार।
हों सहज रिश्ते सभी के, सुखी हो परिवार
लोग हों आनंद में सब ,प्यार हो आधार ।
3 है बढ़ाता दूरियां धन,टूटता विश्वास
भाइयों में फूट डाले ,तोड़ता है आस।
मन भरे घमंड यही तो,जो कुमति का दास
हो सुमति का संग तब तो , व्यक्ति बनता ख़ास ।
4 मान देता तभी जग,हो मनुज गुणवान
जीत लेता है दिल गुणी ,हारता धनवान।
हो अगर संगत बुरी तो,यह गले की फांस
जान लो निश्चित बुरे दिन,आ गये हैं पास।
5 धीर मन पग हम बढ़ाएँ,ले चलो जी साथ
बढ़ चलें हैं नापने जग, हाथ में ले हाथ ।
कर्म पथ हो सुगम सबका, दीन के तुम नाथ
है तुम्हारा ही सहारा, हो चरण में माथ ।
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