1 दीप झिलमिल जल रहा है, मन मिलन की चाह
है तिमिर को चीरता ये, ढूंढ लेता राह ।
और है बाधा कहाँ पर, ले रहा है थाह
जीतने की जिद लिए है , लगन ऐसी वाह ।
2 धूप तो है गुनगुनी सी,मुस्कुराता भोर
चहचहाते पंछियों का मच गया है शोर।
धूप भी तो स्वर्ण सी है,नाचता मन मोर
पंख फैला कर उतरता ,शीत का है जोर
3 नेह का इक दीप रख दे,आज मन के द्वार
जगमगाता दीप से मन,कर सुधा बौछार।
जाल फैला है तिमिर का,अब न चूके वार
जुगनुओं की फौज भी तो ,खूब करती मार ।
4 आंधियों से डरना नहीं,खो नहीं तू धीर
जो करे हिम्मत सदा ही,है वही तो वीर।
रात काली भी ढलेगी , फिर सुहानी भोर
दीप छोटा हो मगर वह, मेटता तम घोर।
5 हर गली में है उजाला, ज्योति का त्यौहार
एक दूजे को मिल रहा,प्रीत का उपहार ।
दीप सारे सज गये हैं, देख लो चहुँ ऒर
जगमगाती रोशनी ज्यों,दीप लाये भोर ।
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