1 उड़ गए हैं डाल से खग,जा बसे परदेश
लौट कर आए नहीं फिर, कौन दे सन्देश ।
रोज ही बन के विहग ये, हो रहे आजाद
नीड़ के तिनके बसाये,हैं कणों में याद ।
2 आपका चिंतन बनाता,आपकी पहचान
सोच को देती दिशा है,दे पुलक यह जान ।
देख सुन के गुन इसी पर , हो सभी का ध्यान
ये सभी अभ्यास मन के,जो बटोरे ज्ञान ।
3:. रोज ही अभ्यास करती ,रश्मियों की फौज ।
है यही चिंता वनों की ,अब न होती मौज ।
लौट आओ मेघ प्यारे, नीर बिन बेचैन
नीर ही तो तृप्ति देवें,है इन्हीं से चैन।
4. कीमती रिश्ते बहुत हैं,ये गले का हार
मन अगर निर्मल तभी तो ,जोड़ रखते तार ।
लोग तो हैं हर तरह के,ये करें स्वीकार
. चार दिन की जिंदगी में ,प्रेम ही है सार ।
5 देख सूरज जेठ का अब,कर रहा बेहाल
बादलों के रहम पर हम , सब रहें खुश हाल ।
रूठते रहें मेघ काले,भूमि पड़ी दरार
मिलकर चलो हम मनाएं, है तृषित संसार ।
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