1 चांदनी मोती लुटाती,है मुदित हर दूब
धरा का हृदय है,आनंद से खूब।
दे विदाई रात रानी,खिल उठी है गंध
चाहते मन से सभी यह, हो अमर संबंध
2 चाँद निकला सैर पर जब, चांदनी के साथ
हैं चकित तारे सभी तो,हाथ में है हाथ।
यामिनी स्वागत करे है , आ गया आनंद
यह धरा मोहित हुई है,रच रही है छंद ।
3 देख सूरज जेठ का अब,कर रहा बेहाल
बादलों के रहम पर हम , सब रहें खुश हाल ।
राह भूले मेघ अब तो,खूब हाहाकार
हाथ जोड़े हम पुकारें, हे जगत आधार ।
4 जो हरे रहते सदा ही ,सूखते वे दूब
भूमि के परिधान है जो , हैं कलपते खूब।
सूख के तिनके हुए हैं,हो गये हैं पीत
हो गया अब लुप्त उनके , हृदय का संगीत ।
5 रात भर जलता रहा है ,गढ़ रहा नव रीत
भेदता तम यह अकेला, हो नहीं भय भीत ।
मौन समर्पण करता यह , है अनोखी प्रीत
सूर्य तो है इष्ट इसका ,भक्ति की है जीत ।
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