Thursday 10 January 2019

सार छन्द - क्रमांक 1

(   यह कदम्ब का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे
      मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे  )

1तन मन देकर मातृ  भूमि का,हम सब मान बढ़ाएं
   वक्त मिला है इसी जन्म में, उसका कर्ज चुकाएँ ।

2      बचपन होता बड़ा सुहाना,हम तो भूल न पाए
भीतर से मन रहता बच्चा, लुक छिप कर आ जाए ।: ✅

3      दीन दुखी की सेवा करना,अन्याय नहीं सहना
   मक्कारों को क्षमा न करना, उनसे कभी न डरना।

  4     सामने हों मुश्किलें तो क्या,ना उनसे डरना है
    रुकना नहीं न झुकना है अब,तो हमको लड़ना है ।

5   गलत काम से बचकर रहना,जुल्मी से मत डरना
    मानवता के हित जो होता,काम वही तुम करना ।
      
6   .    व्यर्थ न होती सारी बातें,ध्यान जरा तुम देना  
    कुछ तो होगी बात काम की,सार मिले चुन लेना।

7   जीवन कम है अगली पीढ़ी, अमल करें वह करना
       सौगात अमिट हो वह देना,आदर्श तुम्हीं बनना।

8   सबको मिलती नहीं योग्यता ,जो लेखन कर पाएं
    उर्वर सृजन सदा ही करना, काम उन्हें जो आएं ।

9  आया है आँगन में बसंत,फूल खुशी के खिलते
   रौनक आई हर डाली पर,खूब गले सब मिलते।

10 बढ़ा तिमिर था जब रातों का,पूरब में रवि आया
        लगे चहकने पंछी सारे,  हमें सबेरा भाया।
   

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