Thursday 17 January 2019

सार छन्द - क्रमांक- 6


1    पर हित में जीवन अर्पित कर,उपकारी बन जाते
      सतपथ पर चलने वाले तो,जीवन सफल बनाते।

2        दर्द भूल कर सदा जिया है,आंधी से टकराये
   लिख कर गीत हौसलों के तुम,आगे कदम बढ़ाये ।

3    बढ़ा लिया है अगर कदम जो,कंटकों से क्यों डरें
     लोग देखकर हमे हँसे यदि, काम ऐसा क्यों करें।

4     लिखा भाग में आंसू जिसके,नाम उसे दें नारी
         छोड़ कुरीति बढ़ी है आगे, नहीं रही बेचारी ।

5     शीत लहर का कहर बड़ा है,बच के रहना भाई
           दौड़े दौड़े आती पछुआ,वही कंपाती आई।

6  गगरी छलकी जंहा सुधा की, वह प्रयाग कहलाया
     पावन मन से पुण्य  करे जो, मुक्ति रत्न वह पाया ।

7 अंतर्मन का द्वेष जला कर, धूनी अलग रमा लो
    इसकी उसकी चुगली छोडो,काम नया जमा लो ।

8       अपने बल पर जीना है तो,काम  अनूठा करना
      आग लगा मन के कूढ़े को,सोच सही तुम रखना ।

9         मति भ्रष्ट अब ऐसी हो गई,लोगो को बहकाते
          इंसानों के साथ देव को,दलित वर्ग में लाते ।

10 अच्छा बुरा जगत में सब कुछ,जैसी सोच हो चुनता
    आत्मा जिसकी निर्मल पावन ,शुभ कर्म वही करता।

   

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