Tuesday 15 January 2019

सार छन्द क्रमांक- 5

      
  

 1    जो पतंग पंछी सम उड़ते ,मन को अच्छे लगते
   डोर थाम कर  सपनों की हम,सब तो उड़ते रहते ।

2    सबका मन ललचातेहैं ये,नभ में विचरण करते
     अपनी अपनी चाहत लेकर,  मन में खुशियाँ भरते ।

3     मन पतंग बन उड़ता नभ में,संग हवा के डोले
    नेह डोर से बंध कर यह तो ,जीवन में रस घोले ।

4    भक्ति भाव है जिसके दिल में,है वह सबसे न्यारा
       दया भरा उसका मन होता,बहे प्रीत की धारा।

5     आंखे मेरी स्वप्न बने तब,साथ तुम्हीं  तो रहते
      भावों के हम महल सजाते,रंग तुम्हीं तो भरते ।

6     सूरज लिए हाथ में चलती, जग को जीवन देती
  पल पल है अवरोध जगत में, सुख देकर दुख लेती।

7       मौसम आये जब चुनाव का ,सबकी नींद उड़ाता
          जोड़ तोड़ में रहते नेता, सबको है समझाता।

8        प्रेम चाहता संग साथ है, ये त्याग मांगता  है
       धीरज धरने को समझाता,विश्वास चाहता है ।

 
     9      माया का है जाल जिंदगी,लोभ फेंकता पांसा
    गले लगा कर दुश्मन को भी,चालाकी से फांसा ।

10   दौर चला है उठा पटक का,बच के रहना प्यारे
      सोच समझ कर काम करें,    होते वारे न्यारे ।आया              

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