Monday 14 January 2019

सार छन्द क्रमांक- 4


  1     डाली डाली हरी भरी है ,लाल रंग से सजती
      जवा कुसुम का झूमे है मन,मां दुर्गे को जपती।,टिल

  2  फैली आँगन  विष बेल उसे,हम सब मिल सींच रहे
            आरक्षण की बेल कटे तो,प्रतिभा का मान रहे।
🙏🏻 

3      मन में यदि विश्वास रहे तो,सभी आस हो पूरी
   कभी आम या कभी खास हो,होता यही जरूरी।

4  मकर राशि पर भानु चले हैं  तिल गुड़ बांटो खाओ
    स्नान दान समरसता भरता,  पुण्य लाभ भी पाओ।

5     आपस में हो बैर कभी तो,परिवार बिखर जाता
      मतभेद मिटा लो सुलह करो,दुश्मन मजे उड़ाता।

6   होती है आपस में खटपट,किस्सा बहुत पुराना
    मन भेद न हो मत भेदों में,बात यही समझाना।

7      सुमन भरे हैं आँचल मेरे,तुझ पर मैं बरसा दूं
     तेरे सिर पर हाथ फेर कर,ममता से सहला दूं ।

8    बसी याद दिल में बचपन की,मन मे खुशियां भरती
     अपना आँगन अपने घर की,दिल मे याद कसकती ।

9     मन मे छल का नाम नहीं था,प्यार ही प्यार भरा
        पंख लग कर उड़े हैं दिन,दिल में है वह ठहरा ।
  

10   आदर्शों की राह चलें हम, स्वाभिमान मन जागे
        भारत को ले जाना हमको,जग में सबसे आगे।

    
 

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