1. निर्धन शोषित दीन हीन को, आतंकी बहकाते
सावधान रहना इनसे तुम,जीवन नरक बनाते।
2 कभी डराते-बहलाते हैं, फिर अपराध कराते
भय दोहन कर गलत कंही , उनसे करवाते ।
3. एक एक मिल दो होवें हैं ,यही हमेशा समझाया
एक एक मिल ग्यारह होते, यही अधिक मन भाया।
4 सारे गिले भुला देना तुम,मुझे भूल ना जाना
लड़ते लड़ते गुजरा जीवन, अब न फिर दोहराना।
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5 ज्ञानी संत सभी ने खोजा ,प्रभु का पता न पाया
देख प्रेम में उसके खोकर,जग में वही समाया ।
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6 मन के उपवन में वसन्त सी, तुम ही तो मुस्काती
भोर किरण सी मुझे जगाती ,गीत प्रीत के गाती।
7 तुम भुला देना गिले सारे, मुझे भूल ना जाना
लड़ते लड़ते जीवन गुजरा, अब न दोहराना ।
7 ममता का दरिया बनकर मां, जग हित नेह लुटाती
मोह नहीं मन अपने हित का,सबका आदर पाती।
8 देवालय में ढूंढ रहा है। ,ये मानव भरमाया
कण कण में बसता है वह तो,सबमे वही समाया।
9 जब नीरस सा लगता जीवन,मन बोझिल हो जाता
होता रहता परिवर्तन तब,एक नया पन आता ।
:10 बेमन से यदि जुड़ जाएं तो,गिनती सिर्फ बढ़ाते
मन से भी यदि जुड़ पाएं तो ,हम विशेष बन जाते।
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