1 पोर पोर तन मुदित हुआ है,मौसम ले अंगड़ाई
नाच उठा है मन मयूर अब, मन कोकिल भी गाई ।
2 अर्पित कुमकुम भक्ति भाव का, श्रद्धा पुष्प चढ़ाया
गीत समर्पित प्रीत सहित है, अर्चन जोत जलाया।
3 सीमा प्रहरी सजग सदा हैं,रिपु से लोहा लेते
रण कौशल से अपने ये तो, जम कर शिकस्त देते।
4 धूप लगे है मन भावन अब,शीत विदाई लेती
पेड़ों से छन छन कर आती,धीमी धीमी ऊष्मा देती।
5 रवि के साथ चली हैं किरणें, सबका मन ये मोहे
ओढ़े स्वर्ण किरण की चूनर ,धरती भी तो सोहे ।
6 जयचंदों की भीड़ लगी है,खुद को अब पहचानों
वीर बहादुर ज्ञानी तुम हो, अपनी कूबत जानों ।
7 कीचड़ में ही कमल खिले हैं, देवों को प्रिय लगते
कष्ट कीच में जो पलते है,शुचि सुन्दर वे रहते ।
8 बाधा बने ना उम्र कभी भी, नया सीखते जाएं
साझा करिए ज्ञान सभी से,नित नित बढ़ते जाएं ।
9 जीवन सहज सरल हो सब का, मन पावन रहता हो
बहे प्रेम निर्झर अंतस में,जीवन रस झरता हो ।
10 तुम पर गर्व करे मां भारती,मां का मान बढ़ाते
प्राण दिया है लाज बचाने, तेरा ही यश गाते ।
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