Monday 21 January 2019

सार छन्द -क्रमांक -8

1       पोर पोर तन मुदित हुआ है,मौसम ले अंगड़ाई
    नाच उठा है मन मयूर अब, मन कोकिल भी गाई ।

2 अर्पित कुमकुम भक्ति भाव का, श्रद्धा  पुष्प चढ़ाया
      गीत समर्पित प्रीत सहित है, अर्चन जोत जलाया।

3         सीमा प्रहरी सजग सदा हैं,रिपु से लोहा लेते
  रण कौशल से अपने ये तो, जम कर शिकस्त देते।

4        धूप लगे है मन भावन अब,शीत विदाई लेती
    पेड़ों से छन छन कर आती,धीमी धीमी ऊष्मा देती।

5    रवि के साथ चली हैं किरणें, सबका मन ये मोहे
     ओढ़े स्वर्ण किरण की चूनर ,धरती भी तो सोहे ।

   

6     जयचंदों की भीड़ लगी है,खुद को अब पहचानों
        वीर बहादुर ज्ञानी तुम हो, अपनी कूबत जानों ।

7   कीचड़ में ही कमल खिले हैं, देवों को प्रिय लगते
        कष्ट कीच में जो पलते है,शुचि सुन्दर वे रहते ।

8       बाधा बने ना उम्र कभी भी, नया सीखते जाएं
       साझा करिए ज्ञान सभी से,नित नित बढ़ते जाएं ।

9  जीवन सहज सरल हो सब का, मन पावन रहता हो
         बहे प्रेम निर्झर अंतस में,जीवन रस झरता  हो ।

10    तुम पर गर्व करे मां भारती,मां का मान बढ़ाते
      प्राण दिया है लाज बचाने,    तेरा ही यश गाते ।

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