Wednesday 23 January 2019

सार छन्द -क्रमांक -9

       
1         नहीं बेटियां रही पराई, सुत पराया माल है
       चलीआसमां छूने बेटी,  बदले अब खयाल हैं।

2 -जीवन सहज सरल हो जग का,मन सबका पावन हो
          बहे प्रेम निर्झर अंतस में,जीवन मन भावन हो।

3       नेह की धारा बहा दो तुम,रोकना मत भावना
       खूबसूरत जिन्दगी के पल, ढूंढ लो सम्भावना।

4      जरा मुस्कुरा कर भी देखो ,तस्वीर बदल जाती है
    मांगे अगर दुआ दिल से तो, तकदीर बदल जाती है।

5         खून मांगता था जो हमसे, देने को आजादी
         संचय करता था ऊर्जा का, मंशा सीधी सादी।

6         लोग सादगी ओढ़े लूटें,भोली जनता लुटती
        सावधान करना है उनको,वह तो घुटती रहती।

7   सही समय पर काम अगर हो,सब कुछ सही चले है
        हँस कर सबसे बात करें तो, मन में प्रीत पले है ।

8       रखना है काबू में गुस्सा ,होश नहीं रहता है
        मन में करे दरार यही तो,पछताना पड़ता है।

9   समझदार जो होते हैं वो,काम सोच कर करते
       धीर वीर जो जन होते हैं, नहीं दुखों से डरते ।

10        नेता बनकर देश बेचते,बड़े चैन से रहते
      कर्ज भुलाकर माटी का वो,घात देश से करते ।
     

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