Saturday 10 April 2021

लघुकथा श्रृंखला 33 :-- बच गई इज्जत , कोरोना ने बख्श दिया (प्रिया की अंतिम इच्छा), यमद्वार से वापसी

    
 
                         
दिनांक 10, 4 , 2021 
लघुकथा शीर्षक -- " इज्जत बचा लिया "
                      पीयूष का फोन आया -माँ  मेरी कम्पनी मुझे  दो साल के लिए   यू एस  भेज रही है ।   
 माँ -बहुत बहुत बधाई हो बेटा  .... कब जाना है ??
           यहां की सारी फॉरमैलिटी पूरी होने में  एक महीने लग जायेंगे।
            बाकी बातें बाद में ....
       पीयूष को नौकरी लगे अभी दो हो साल तो हुए है। वह बंगलोर  की किसी आई टी  कम्पनी में  बढ़िया पैकेज में काम करता है। कल्याणी रिटायरमेंट के बाद  अपने घर की बाकी किश्त एक साथ  पटा कर रजिस्ट्री करवाई है । घर का वास्तु पूजन करवाने के बारे में सोच ही रही थी।  कि  ये खुश खबरी सुन सोच में पड़ गई  !   विदेश में  इतनी दूर जाकर बेटा  अकेले कैसे रहेगा ?  सात साल का था, तब से पिता का स्वर्गवास हो गया  ।बड़े नाजों से पाला है मैंने। एक गिलास पानी तक अपने हाथ से निकाल कर नहीं पिया है ।अगर कभी बीमार पड़ा तो कौन देखभाल करेगा? वहां की कोई गोरी मेम के चक्कर में आ गया तो  हमेशा के लिए हाथ से निकल जायेगा ।  दो तीन अच्छी   लड़कियां तो इसी शहर में हैं ।गृहप्रवेश के लिए आएगा तभी उनके घर वालों से चर्चा कर के देखती हूँ । 
                    उसने दो दिन बाद ही पीयूष को काल किया ---    तू  घर कब आ रहा है? 
       पीयूष - अभी कुछ नहीं बता पाउँगा ।
        माँ --  दस दिन बाद  से नवरात्रि शुरू हो रही है ।  पंचमी के दिन घर का वास्तु पूजन है।
     सोमवार पड़ रहा है ।  शनि रवि तो तेरी छुट्टी रहती है। एक दिन की छुट्टी लेकर आना ही पड़ेगा तुझे।  मैं पूरी तैयारी करवा लूँगी । मुझे ना नहीं सुनना है  समझा....
   पीयूष  पूजा के एक दिन पहले   शिल्पा को लेकर घर आया  और बताया -  माँ ये शिल्पा  है।
     यह मेरे साथ में काम करती है । हम दोनों शादी करना चाहते हैं । लेकिन शिल्पा के घर वाले तैयार नहीं हैं । अब तू बता शिल्पा तुझे कैसी लगी ? मुझे तो ----
     माँ --  बेटा तेरी खुशी में ही मेरी ख़ुशी है ।   जिंदगी तुम्हें निभानी है। तेरी पसन्द से मुझे कोई एतराज नहीं है। 
       रात में ही  वह दोनो को ले कर अपनी  सजेली सुजाता के घर गई । वो दोनो पति पत्नी ही हैं कोई सन्तान नहीं है । उसे सारी बातें बताई  कहा- लोक लाज तो बचाना है। तेरी  -- हेल्प चाहिए। लड़की को तेरे घर छोड़ जाती हूँ  । वास्तु  पूजन के बाद सगाई की रस्म करनी है।आमन्त्रित मेंहमानों और सबको यह बताएंगे कि शिल्पा  तुम्हारी बहन की बेटी है।तुमने गोद लिया है। दिल्ली में पढ़ रही  है । अब कल कपड़े,अंगूठी  और जरूरी सामान की खरीददारी कर पूजा तक  शिल्पा को लेकर तुम लोग मेरे  घर आ जाना ।
            दूसरे दिन  4 बजे गृहप्रवेश पूजन  हुआ ।  पूरे घर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। लोगों ने बधाइयों की बौछार लगा दी। रात्रि भोज के पहले पीयूष और शिल्पा के सगाई की घोषणा के साथ  अंगूठी रस्म  हुई । एक साथ तीन खुशियाँ  मनाई जा रहीं थी ।गृहप्रवेश की  ख़ुशी के साथ पीयूष और शिल्पा की सगाई  और विदेश गमन की   ख़ुशी  में  सब नाच गा रहे थे ।कल्याणी ने बड़ी कुशलता  और उत्साह के साथ सारा इंतजाम सम्हाला है । 
         लोगों ने पूछ ही लिया शादी  की मिठाई खिलाने कब बुला रहे हो आंटी जी ???
 कल्याणी ----   शादी  लड़की  वाले अपने पैतृक निवास  पूणे  में करना चाहते हैं उनकी सुविधा अनुसार वहीं जाकर करेंगे ।
  डॉ चंद्रावती नागेश्वर 
  रायपुर छ ग
   दि. 15 4, 2021
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      शीर्षक--     " प्रिया की अंतिम इच्छा "
     ड्यूटी से लौट कर प्रिया ने खुद को कमरे में  बन्द कर लिया।
पारस बार बार  दरवाजा खटखटा रहा है --प्रिया दरवाजा खोलो...
 प्रिया अंदर से ही बोली --  मैं कोरोना पोजिटिव हूँ... 
पारस --    तो चलो हॉस्पिटल  मैं एम्बुलेंस के लिए फोन कर देता हूँ ।
  प्रिया -- मैं हॉस्पिटल में ही तो काम करती  हूँ न.....  वहां के हालात मझसे बेहतर और कौन जानेगा ?? हॉस्पिटलों की हालत चाहे सरकारी हो या प्राइवेट  सभी की स्थिति बद से बदतर है  अचानक मरीजों का सैलाब उमड़ रहा है  न बेड हैं,न आक्सीजन,न मरीजों के लिए पर्याप्त मास्क, न दवाएँ ,न पर्याप्त स्टाफ हैं------ पारस  मैं अपने आखरी समय में तुम्हारे सामने रहूँ, तुम्हें खिड़की से देख सकूँ और चैन से मर सकूँ ....
 इसीलिये तो घर पर हूँ ।
 पारस ---  कैसी बचकानी बातें करती हो ???  अपना नहीं तो  कम से कम अपने आने वाले बच्चे की सुरक्षा के बारे में तो सोचो ........
 प्रिया ---  मैं पॉजीटिव हूँ तो यह स्वाभाविक ही है, कि बच्चा भी पॉजीटिव ही होगा। फिर इतनी स्ट्रांग दवाओं  का उस पर कितना बुरा असर होगा ?  इसका अनुमान तो कोई लगा सकता है । पिछले साल के लॉक डाउन में तुम्हारी नौकरी छूट गई थी । तब हम इस अनजान शहर में आकर जनसेवकों की टोली में 
शामिल होकर  हम दोनों के लिए दोनों समय की रोटी का जुगाड़ तो कर लिए थे । मेरी नर्सिंग ट्रेनिग के एग्जाम पोस्टपोंड हो गए  थे । तब भी मैं पार्ट  टाईम जॉब कर रही थी । इस  बार तो अब   अच्छे अस्पताल  में फूल टाइम काम कर रही हूं।  अधिक काम के भार से तबियत  और रिस्क को देखते हुए  मैंने दो महीने की छुट्टी एडवांस पेमेंट के साथ एप्लाई कर रखा था। जो सेंक्शन हो गया है। मैंने लेब  में अपने कोरोना टेस्ट के रिपोर्ट बदल दिए थे । अन्यथा मुझे घर आने की परमिशन नहीं मिलती ।
प्रिया और पारस की आंखों से  आंसुओं की बरसात हो रही थी।   पारस मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है । कुछ बना के खिला दो जल्दी से।  तब तक थोड़ा आराम कर लेती हूं।
 खाना बना कर खिड़की  से लगी टेबल पर रख देना । तुम खिड़की के बाहर चेयर लगा के बैठ जाना  और मैं अंदर  दोनो एक साथ एक दूसरे को देखते हुए खाना खा लेंगे.... 
      पारस सोचता है -- जल्दी ही  सातवां महीना पूरा  होने वाला है।  प्रिया पूरी दवा ले कर आ गई है। ईश्वर ने चाहा तो ठीक भी हो सकती है।  खाने के बाद पारस एक बार फिर उसे समझाने की कोशिश करता है ---प्रिया तुम बहुत कमजोर हो गई हो। तुम जीवित रही तो बेबी फिर आ जायेगा। 
हॉस्पिटल  में ज्यादा बेहतर देख रेख होगी ।
-- नहीँ मेरी जिंदगी का कोई भरोसा  नहीं है। तुमसे दूर रहकर मेरी हर सांस तड़प भरी होगी .... 
 उसी रात अचानक  उसे लेबर पेन  आने लगे। पारस पुलिस,डॉक्टर , स्टाफ की सीनियर नर्स सबको फोन किया । 
 उसे दर्द की लहर आई  और एक दर्द भरी चीख के साथ सब कुछ समाप्त हो गया ----- एक बच्ची  के रुदन से पूरा कमरा गूंज उठा ........ बच्ची का टेस्ट हुआ ।वह नेगेटिव पाई गई ......
   यह  घटना सन्देश देती है -
       "    जाको राखे सांइयाँ मार सके न कोय "
 डॉ चंद्रावती नागेश्वर
कोरबा छ ग 
 दि.27 -4 -2021

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शीर्षक ---यम द्वार से वापसी

   हाउसिंग बोर्ड कालोनी के सभी स्नेही जनों को मेरा जगमगाते हुए  सुबह की शुभ बेला में --- प्रातःवंदन
           आपको पता है  जीवन की  सांध्य बेला में   हंसी खुशी  पूरी ऊर्जा के साथ  विगत कुछ महीनों से  आप सभी के स्नेहसिक्त मुस्कानों के साये में  निवास रत हूँ ।
             आप सभी को लगता है कि मैं यहाँ अकेली हूँ  ,और मुझे इस उम्र में  खासकर  कोरोना  के भयावह संक्रमण काल  में कदापि अकेले नहीं रहना चाहिए।  पर  हर पल ईश्वर को अपने साथ महसूस करती हूं ।        
  मुसीबत के समय वह कई रूपों में आता है ,और  बांह पकड़ कर मुझे उबार लेता है । 
         अभी  हाल की  ही एक घटना का तरो ताजा उदाहरण आपके सामने रखती हूं :---- इसी गुरुवार के सुबह 8 बजे की घटना है। मैं अपने गेट के  पास ठेले से फल  लेने गई । 
 वहां से  फल लिया अभी बस 5-7 कदम ही आगे बढ़ी थी कि जोर का चक्कर आया ।जैसे -तैसे सीढ़ी  के  पास बैठ गई। ऐसा लगा कि कोई मुझे उठा  के गोल  गोल घुमा कर पटक    रहा है । मैंने जोर  से रेलिंग पकड़ लिया।          
        कुछ देर बाद  आंख खोली मोबाइल मेरे जेब मे था । अंजली भास्कर,संजय साहू ,प्रभा साहू को बताया कि मुझे तत्काल सहायता की जरूरत है ।
           मुश्किल से  तीन बार बैठते हुए  15 सीढी चढ़कर  घर   पहुंची । सोफे पर बैठ गई। लगातार चक्कर आ ही रहे थे ।  सोफ़ा हिल रहा था ,सिर घूम रहा था । दस मिनट मेंअंजली आ गई,ग्लूकोज इलेक्ट्रॉल दिया ।  इस बीच  डॉक्टर बेटे को U S A फोन किया ।  वह  वीडियो कॉलिंग करके लगातार निर्देश दे रहा था।  अंजली ग्लूकोस पानी लेकर आई। फिर संजय भी आ गये । ऑक्सी मीटर पर  ऑक्सीजन लेबल और पल्स लगातार फ्लक्चुएट हो रहा था।घबराहट बढ़ते जा रही थी ।  
           10 -15 मिनट में  कुछ  बेहतर  लगा । चक्कर   का वेग  कुछ कम हुआ, अंतराल बढ़ा पर बन्द नहीं हुआ । अंजली दलिया ,काढ़ा बनाकर लाई ,संजय मेरे साथ रहे ।शत्रुहन साहू -मेडिकल से दवा ले आये ।  मेरी सहेली डॉ मधुलिका अग्रवाल  भी अपने डॉक्टर से सलाह लेकर दवा  बताई । पूरे समय मुझे दिलासा देती रही । मेरी  हिम्मत बढ़ाती रही । सबके सहयोग से   12 बजे तक स्थिति काफी सम्हल गई ।  
          *अब आप ही सोचिए  भगवान  इन सबके रूप में मेरी सहायता करने ही तो आये  न ?*   
       मैं इन सब को अनेकानेक धन्यवाद देती हूं, आशीर्वाद देती हूं। अंजली  तो मां बनकर मेरे खाने नाश्ते  का ,ग्लूकोज पानी  का दो दिन तक बहुत ध्यान रखा ।  थोड़ी थोड़ी देर में घर जाकर भी फोन से पूछती रहती  थी। मेरा रोम रोम ये    दुआ करता है कि ईश्वर उसे उसके परिवार को   सदा सुखी रखे । आगरा से डॉ अमित अग्रवाल  भी ऑन लाइन   काल  पर सलाह देते रहे। समधी  -समधन  दिलासा देते रहे  सब ठीक हो जाएगा । बेटा कहता रहा हॉस्पिटल नहीं ले जाना,
कुछ देर में सब ठीक हो जाएगा ....
 पर सिर चकराना थम नही रहा था, बैठूँ तो चक्कर, लेटूं तो चक्कर,करवट बदलूँ तो चक्कर .........
         शुक्रवार को  M G M के डॉक्टर अजय ने  अपने व्यस्तता में से समय निकाल कर B P  और सुगर मशीन   और दवाएं लाकर घर पर दी । दुर्ग की मेरी सहेली सावित्री को मेरी हालात का पता चला तो कहा - तुरंत गाड़ी करके मेरे घर आ जाओ । शाम को A I M S  के डॉक्टर  एस के साहू, देखने आए B P सुगर चेक किया, सब नार्मल निकला ।   उनके साथ ही मैं अपनी सहेली के घर दुर्ग में आगई हूँ । 
                 
  डॉकटर बेटे  ने  अपने रॉयपुर के  4 -5   डॉक्टर  मित्रों  से  ऑन लाइन सलाह किया , डॉ शिवहरे ने कहा --  सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस  के सिम्पटम्स हैं।  बाकी तीन का अनुमान  था कि-वर्टिगो के  लक्षण हैं-  -दवा  चल रही है ।अब 80% आराम लग गया है।मैं सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करतीहूँ.  
    बेटा चिन्तित हो कर कहा - मैं  अगले  सप्ताह तक आपको लेने आ रहा हूँ ।   वैसे मैं पिछले  साल फरवरी से  मेरा  U .S. जाना कोरोना के कारण से टलते जा रहा है।
 अभी दो दिन पहले ही भारत  से जाने और आने वाली    फ्लाइट  अनिश्चित काल के लिए रद्द हो गईं है ।
    
  *  ईश्वर पर अटूट भरोसा रखिये  
 पॉजिटिव सोचिए   कोरोना से नेगेटिव रहिए *
 
    डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
   दिनांक  5 , 5, 2021

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