Friday 25 February 2022

लघु कथा श्रृंखला---( 43 )सोनम के जज्बे को नमन . अनोखी माँ गणेशी,

" सोनम  के जज़्बे को नमन  है" 
           सन  2014 के  आम  चुनाव में   जब एक किन्नर ने  अमेठी  से  आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस पार्टी  के राहुल गांधी के खिलाफ  खड़ी  होकर  उसे चुनौती दी थी.तब वह पहली  बार अखबार की सुर्खियों में आई. 
यद्यपि  वह चुनाव नहीं जीत पाई पर उसके दमदार भाषण और तर्क संगत विचारों ने जनता को झकझोर कर  रख दिया था. उसके  पहले अठारह  साल की  उम्र में अजमेर की नगर निगम  की  काउंसलर रह  चुकी  है. 

         . उसके बादआमआदमी पार्टी  से  इस्तीफा  देकर  वह  मानवाधिकार आयोग की सदस्य 
बनी. कई समाज सेवी  संस्थाओं    से  जुड़  कर काम करने लगी. उससे प्रभावित होकर, समाज  
 वादी  पार्टी के अध्यक्ष ने नवंबर  2018 में सुलतान पुर से  चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया.  सोनम  किन्नर ने इस चुनाव में जीत का परचम लहराया. उसके  बाद  वह समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री बनी और दूसरी बार अखबार की सुर्खियों में छा गई. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसने इंटरव्यू देते हुए कहा कि -- राजनीति में आने का उसका एक विशेष उद्देश्य है. वह सैकड़ों वर्षो से समाज द्वारा उपेक्षित, प्रताड़ित किन्नर समुदाय  की  शिक्षा और आत्म सम्मान के लिए कुछ विशेष करना चाहती है. जो  भी पार्टी किन्नरों के कल्याण के लिए उन्हें  समाज में समानता का अधिकार दिलाने के लिए काम करेगी मैं उसके  साथ जी जान से काम करूंग़ी. 
 समाजवादी पार्टी ने उसे  गाड़ी. बंगला. गनर तो दिया, लेकिन किन्नर कल्याण बोर्ड की स्थापना  में जरा भी रुचि नहीं ली. इस बात से रुष्ट होकर उसने बाद में  समाजवादी पार्टी छोड़ दी.
        उसने  सुल्तानपुर मेंअपने बलबूते पर किन्नर आश्रम की स्थापना की, गरीबों जरूरतमंदों और सहायता की,उनकी शिक्षा स्वास्थ्य के लिए भी बढ़-चढ़कर काम किया.  कोरोना महामारी के समय, लॉकडाउन काल में जरूरतमंदों को निःशुल्क   भोजन उपलब्ध करवाया. स्वास्थ्य सेवा को सहज, सुलभ  बनाया. कोरोना के  दूसरे दौर में जब ऑक्सीजन की किल्लत बढ़ने लगी तब सुल्तानपुर में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए अपनी ओर से 5000/का चेक कलेक्टर को दिया.शीघ्र ही और पैसों की  व्यवस्था  का   आश्वासन भी दिया.  
: सुल्तानपुर में सोनम  किन्नर के रूप में नहीं वरन सम्माननीय नागरिक के रूप में जानी  और मानी जाती है. वह किन्नरों की शिक्षा स्वास्थ्य और सामाजिक सम्मान के लिए मरते दम तक संघर्षरत रहने के लिए कटिबद्ध  है. 
         भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने  उसे  उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री का दर्जा दिया है और किन्नर कल्याण बोर्ड की स्थापना कर उसका उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. सोनल  जैसे  कुछ  किन्नरों के  अथक  प्रयासों  ने  यह  सिद्ध  कर दिखाया  है  कि व्यक्ति ठान ले तो  समाज की  दशा. और  दिशा  बदल  सकता  है. उन्ही  के  प्रयासों से  कुछ प्रतिभावान  किन्नर  युवा-- आई.  पी.  एस,  जज, और  आई. ए. एस. बनने  की  राह  पर  हैं 
 डॉ चंद्रावती नागेश्वर
  सानफ्रांसिस्को 
25.02.2022
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"अनोखी  माँ   गणेशी "

            आज गणेशी  का  चिर  संचित  सपना  पूरा हुआ.उसकी बेटी ललिता को  बिलासपुर के  त्रिवेणी भवन में होने वाले  महिला  दिवस  के राज्य स्तरीय कार्य क्रम  में आज विषेश  सम्मान मिलने  वाला है. उसे  एम. बी. बी.  एस.  परीक्षा की प्रावीण्य में सूची में पांचवां स्थान मिला  है. विशेष बात यह है, कि ललिता के साथ ही उसकी  मां  गणेशी पाटिल जो   उसकी एकल  अभिभावक  है, उनको  भी   "मातृ गौरव "सम्मान मुख्य मंत्री  के द्वारा किया जाएगा  . 
  कार्यक्रम में जब ललिता को मंच पर बुलाक़र सम्मानपत्र  पत्र दिया गया, तब ललिता ने अपनी मां को भी मंच पर बुलाने की अनुमति मांगी ललिता ने कहा कि.मेरी इस सफलता का श्रेय मेरी माँ  को  जाता है. उनके  कठिन संघर्ष,  प्रेरणा, और मेहनत से मैं आज इस मुकाम तक पहुंची हूं.  यह मैं  उन्हें  सौंपना  चाहती  हूँ.
  इसके बाद श्री गणेशी बाई पाटिल को  मातृ  गौरव सम्मान प्रदान किया गया. उन्होंने अपना परिचय देते हुए सभा में  उपस्थित सभी लोगों  को यह बताया --
        मैं श्री गणेशी बाई  एक सामान्य परिवार में अपने माता पिता की तीसरी  संतान पुत्र के रूप में पैदा हुई. गणेश चतुर्थी के दिन  दो बेटियों  के  बाद  मेरे जन्म से  परिवार में  खुशियों  श्री  गणेश  हुआ, मेरा नाम  श्री गणेश  रखा  गया .  लेकिन विघ्न,जिल्ल्त,नफरत मेरे जीवन का  हिस्सा  बन  गए. और  शुभ लाभ  मुझसे  सदा  दूर ही रहें.कदम कदम पर  उपेक्षा, नफरत, परेशानियां मेरी दोस्त बन गईं. माँ  की मृत्यु, सौतेली  माँ का  आना हुआ. किशोर उम्र तक आते-आते मुझ में असामान्य से परिवर्तन होने लगे 
मेरे माता-  पिता, साथी,रिश्तेदार  मेरा मजाक उड़ाने लगे.  
पिता ने मुझे घर से निकाल दिया. ट्रेन में एक किन्नर ने मुझे  पहचान लिया,अपने समुदाय में  शामिल  कर  लिया. मुझे किन्नर समाज के तौर तरीके सिखाए गए. मुझे पेट की भूख मिटाने के लिए नाचना, गाना, भीख मांगना पड़ा.  लेकिन यह सब  मेरे स्वाभिमान को आहत  करता था.मेरा एक गुरु भाई दक्षिण भारत के विख्यात ब्राह्मण परिवार से था. अब  हम  एक और एक मिलकर ग्यारह बन गए. दोनों ने मिलकर बीड़ी बनाने का काम शुरू किया.अब किन्नर समुदाय के लोग ही हमारा मजाक बनाने लगे. लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी. हमारे साथ कुछ और लोग शामिल हो गए. हमने किन्नर समुदाय के  उत्थान का बीड़ा उठाया. सेक्स वर्कर, एच . आई.   वी.  पीड़ितों   के  बच्चों  के कल्याण  के लिए  छोटी  छोटी  संस्थाएं बनाई और हमें जन सहयोग  भी  मिला. कटनी  की  प्रथम किन्नर महापौर से  आर्थिक सहायता और मार्गदर्शन भी मिला   
    इस  बीच एक दिन  डेढ़  महीने   की लाली कूढ़े  के ढेर में मिली.  उसे  मैंने अपने घऱ  ले आया.  उसे पालना एक चुनौती  भरा काम  था. छोटा  बच्चा सम्हालने  का कोई अनुभव  न होते हुए भी  मैंने  उसे  पालने  का निश्यच  किया. लाली  आधी रात को जब मेरे पेट पर अपना हाथ रख कर सोई तो मेरे मन में ममत्व का भाव जाग उठा. मेरे हृदय के अंदर एक मां ने जन्म लिया.  मुझ किन्नर को जो  दुनिया की नजरों में ना स्त्री ना  पुरुष था.  एक अपूर्ण मानव को उसने संपूर्णता से भर दिया.एक माँ  केवल तन  का ही नहीं  मन , बुद्धि, सोच,व्यवहार,  संस्कार संपूर्ण  व्यक्तित्व के सुसुप्त  बीज का  अंकुरण  करती  है.
   भारत  में  अर्द्ध  नारीश्वर   भगवान शिव की महिमा  गान और  भक्ति  करने वाले हमारा  खूब  अपमान  करते हैं. हमें  भी  तो  भगवान  ने  ही  बनाया है. ये  क्योँ  भूल  जाते हैं  ????  
 शिक्षा, संकल्प और प्यार से  महा परिवर्तन संभव है . मैं  शुक्रगुजार हूँ, उस  नन्हीं  सी बच्ची की,  जिसने मुझे स्त्रीत्व और मातृत्व से  भर  दिया. इस  इस समय मेरे पास 7 बच्चियां है जो समाज के द्वारा उपेक्षित, प्रताड़ित और  क्रूरता  की  शिकार  हुई हैं.  कोई 6 महीने की, कोई 12 महीने की, कोई 2 साल की, कोई 3 साल की मेरी गोदी में आई थी. आज कोई वकालत  कर रही है कोई टीचर, कोई  इंजीनियर कोई वकील  बनने की राह पर है.
       मैं  श्री  गणेशी अर्धनारीश्वर  रूप  में  
   आपके   सम्मान के  लिए  दिल से  आभारी  हूँ ..... 
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
 दिनांक 15, 2, 2022

💐बोल अनमोल💐
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हृदय पटल पर हर्ष का रखना सुन्दर चित्र।
कैसा भी मौसम रहे खिलो पुष्प से मित्र।।
                          ~प्रो.विश्वम्भर शुक्ल

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