1 बिना पंख के उड़ चला ,मनवा देखो हाय
भागे ये उड़े, वश में तनिक न आय ।
2 मन सागर सा डोलता , जीव चला उस पार
ले कश्ती विश्वास की , साहस की पतवार ।
3 ज्ञानी ध्यानी तप करें, मन को समझ न पाय
यह समन्दर सा गहरा , ....कोई पार न पाय ।
4 नील गगन सा मन लगे , जिसका आर न पार ।
निराकार यह मन फिरे , ...तन इसका आधार ।
5 तन अंधा मन लंगड़ा , रहते मीत समान
तन जब तक मन की सुने , होता है कल्यान ।
6 तन मन्दिर मन देवता , मन की शक्ति अपार
पावन मन की भक्ति से , दर्शन हो हर बार ।
7 मन के हैं दो रूप जी , जान सके तो जान
भला बुरा सब कुछ यही , सच को तू पहचान ।
8 मन से मन मिलते अगर , मिट जाते सब भेद
मन से मन मिलता नहीँ , तब होता है खेद ।
9 मन वकील मन जज बने , करता रहता न्याय
सोच समझ कर जो करे , वह ज्ञानी कहलाय ।
10 मन के इस आकाश में , इच्छाओं के संग
प्रेम डोर से यह बंधा , नभ में उड़े पतंग ।
11 मन के अंदर बीज है , सींच पेड़ बन जाय
कर्म वचन को जोड़ कर, जीवन सफल बनाय।
12 छोड़ें मन की दासता , हो जायें आजाद
ले नूतन संकल्प सब , करें शंख का नाद ।
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