Tuesday 23 January 2018

दोहावली ----****-मन ****

1     बिना पंख के उड़ चला ,मनवा देखो हाय
          भागे ये उड़े, वश में तनिक न आय ।

2       मन सागर सा डोलता , जीव चला उस पार
          ले कश्ती विश्वास की , साहस की पतवार   ।

3        ज्ञानी ध्यानी तप करें, मन को समझ न पाय
          यह समन्दर सा गहरा , ....कोई पार न पाय ।

4         नील गगन सा मन लगे , जिसका आर न पार ।
            निराकार यह मन फिरे , ...तन इसका  आधार ।

5         तन अंधा मन लंगड़ा ,   रहते मीत समान
           तन जब तक मन की सुने , होता है कल्यान ।

   6       तन मन्दिर मन देवता , मन की शक्ति अपार 
            पावन मन की भक्ति से ,     दर्शन हो हर बार  ।

7         मन के हैं दो रूप जी ,   जान सके तो जान
          भला बुरा सब कुछ यही , सच को तू पहचान ।

8       मन से मन मिलते अगर , मिट जाते सब भेद
           मन से मन मिलता नहीँ  , तब होता है खेद ।

9       मन वकील मन जज बने , करता  रहता न्याय
          सोच समझ  कर जो करे  , वह ज्ञानी कहलाय ।

10     मन के इस आकाश में , इच्छाओं के संग
           प्रेम डोर से यह बंधा   , नभ में उड़े पतंग  ।

11     मन के अंदर बीज है , सींच पेड़ बन जाय
           कर्म वचन को जोड़ कर, जीवन सफल बनाय।

12    छोड़ें मन की दासता ,     हो जायें आजाद
        ले नूतन  संकल्प सब ,  करें शंख का नाद ।

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