Tuesday 23 January 2018

दोहावली--- धरती / फागुन

1    जन्म भूमि की गोद में,खुशियां  मिले अपार
     इसके कण कण में बसा ,  ममता और दुलार ।

 2    धरती  माँ देती हमे , कोटि कोटि अनुदान
      प्राणों  से प्यारी  यही , इस पर है अभिमान ।

3     आंचल पर धरती लिखे , पादप के नव छंद
        पंछी  गाते गीत हैं ,     मन उपजे आनंद ।

 4     हिम की चूनर पहन कर ,धरती मन हरषाय
        रूप देख कर गगन भी , बलि हारी हो जाय ।
   
 5     सारी दुनिया देख ली ,   अपनी धरती भाय
        अपने पन के भाव से , मन पुलकित हो जाय ।

6      यह नगरी है अवध की , जन्म लिये प्रभु राम
       चरणों   को छू  धन्य  हुए , सरयू  पूरण काम ।

 7     जन्मे हैं  हैं श्री हरि जहां , धन्य भूमि ब्रज धाम
        कण कण चन्दन हो गया , यमुना करे प्रणाम ।
 
8      जिस धरती में खेलकर ,  पले बढ़े हम लोग
        इसे कभी मत भूलना  ,  यह तो पूजन जोग ।

9    बिना भूमि के जीव नही ,  यही हमारी शान
       धरती से ही अन्न धन ,   धरती ही तो प्राण ।
 
10     मिट्टी  नीर  बयार तो ,   है अनुपम वरदान
         इतना तो प्रभु ने दिया , सदा करें जय गान ।

11    भूमि रत्नों की खान है , अनगिन हैं  उपकार
          हरी भरी ही शोभती  ,    तरुवर करें श्रृंगार।

12    कहते इसे वसुंधरा  , यह रत्नों की खान 
        नदिया पर्वत पेड़ सब , इसके अंग समान।

13   वन्दन हो हर सुबह का , वन्दित हो हर शाम
      धूलि का कण कण चन्दन हो ,पावन हो सुख धाम।

14   अचला का आंचल भरे , अक्षय खनिज भन्डार
       नदिया पर्वत पेड़ सब ,    इसका करें   सिंगार ।

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                   ****** फागुन ***** **
1    ये महीना फागुन का  , झूम रहा संसार
        धरा सुंदरी ने किया   ,   फूलों से श्रृंगार ।

2      हवा नशीली हो गई , मौसम हुआ जवान
       नभ से बरसे प्रेम रस ,   कोयल गाये गान ।

3      फागुन का जादू चला , डाल डाल पर फूल
        करें सृजन की साधना ,  मौसम है अनुकूल ।

4      खिलते फूलों की छटा , फागुन का उपहार
        मन भावन मौसम हुआ , चारों और बहार  ।

5      अपने  पूरे  ठाठ में  , आया फागुन मास
        जीवन के सौंदर्य का ,   देता है आभास ।

6      पृथा  सुंदरी से करे  ,  फागुन प्यार अपार
         फूलों की सौगात ले , करता है मनुहार ।

7    महुआ डोरे डालता ,     टेसू मन मुस्काय
     तितली भ्रमर बयार को , फागुन ही बहकाय ।

8    टेसू कहे पुकार के , फागुन के दिन चार 
      रूप रंग कुछ दिन रहे ,  कर ले सबसे प्यार।

9     पीली चूनर पहन चली , धरती मन हरषाय
       आया मौसम प्यार का , प्रिय की याद सताय ।

10   खिल खिल सरसों हँस रही ,वन में हँसे पलाश
     अब तो फागुन आ गया  ,  शीत  लिया अवकाश ।

11  शीत विदाई ले रही  , पीले पत्तों संग
       डाली डाली झूमती , लेकर नई उमंग ।

12 अंतिम महीना साल का , फागुन माह विशेष
      ख़ुशी ख़ुशी होता विदा , सुख की दुआ अशेष।

13 वसन्त की पदचाप सुन ,  बौराया है आम
     फूलों नेस्वागत किया , पूजित हैअब काम ।

   
 

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