1 जन्म भूमि की गोद में,खुशियां मिले अपार
इसके कण कण में बसा , ममता और दुलार ।
2 धरती माँ देती हमे , कोटि कोटि अनुदान
प्राणों से प्यारी यही , इस पर है अभिमान ।
3 आंचल पर धरती लिखे , पादप के नव छंद
पंछी गाते गीत हैं , मन उपजे आनंद ।
4 हिम की चूनर पहन कर ,धरती मन हरषाय
रूप देख कर गगन भी , बलि हारी हो जाय ।
5 सारी दुनिया देख ली , अपनी धरती भाय
अपने पन के भाव से , मन पुलकित हो जाय ।
6 यह नगरी है अवध की , जन्म लिये प्रभु राम
चरणों को छू धन्य हुए , सरयू पूरण काम ।
7 जन्मे हैं हैं श्री हरि जहां , धन्य भूमि ब्रज धाम
कण कण चन्दन हो गया , यमुना करे प्रणाम ।
8 जिस धरती में खेलकर , पले बढ़े हम लोग
इसे कभी मत भूलना , यह तो पूजन जोग ।
9 बिना भूमि के जीव नही , यही हमारी शान
धरती से ही अन्न धन , धरती ही तो प्राण ।
10 मिट्टी नीर बयार तो , है अनुपम वरदान
इतना तो प्रभु ने दिया , सदा करें जय गान ।
11 भूमि रत्नों की खान है , अनगिन हैं उपकार
हरी भरी ही शोभती , तरुवर करें श्रृंगार।
12 कहते इसे वसुंधरा , यह रत्नों की खान
नदिया पर्वत पेड़ सब , इसके अंग समान।
13 वन्दन हो हर सुबह का , वन्दित हो हर शाम
धूलि का कण कण चन्दन हो ,पावन हो सुख धाम।
14 अचला का आंचल भरे , अक्षय खनिज भन्डार
नदिया पर्वत पेड़ सब , इसका करें सिंगार ।
–---_---–-----------------//-----– ------
****** फागुन ***** **
1 ये महीना फागुन का , झूम रहा संसार
धरा सुंदरी ने किया , फूलों से श्रृंगार ।
2 हवा नशीली हो गई , मौसम हुआ जवान
नभ से बरसे प्रेम रस , कोयल गाये गान ।
3 फागुन का जादू चला , डाल डाल पर फूल
करें सृजन की साधना , मौसम है अनुकूल ।
4 खिलते फूलों की छटा , फागुन का उपहार
मन भावन मौसम हुआ , चारों और बहार ।
5 अपने पूरे ठाठ में , आया फागुन मास
जीवन के सौंदर्य का , देता है आभास ।
6 पृथा सुंदरी से करे , फागुन प्यार अपार
फूलों की सौगात ले , करता है मनुहार ।
7 महुआ डोरे डालता , टेसू मन मुस्काय
तितली भ्रमर बयार को , फागुन ही बहकाय ।
8 टेसू कहे पुकार के , फागुन के दिन चार
रूप रंग कुछ दिन रहे , कर ले सबसे प्यार।
9 पीली चूनर पहन चली , धरती मन हरषाय
आया मौसम प्यार का , प्रिय की याद सताय ।
10 खिल खिल सरसों हँस रही ,वन में हँसे पलाश
अब तो फागुन आ गया , शीत लिया अवकाश ।
11 शीत विदाई ले रही , पीले पत्तों संग
डाली डाली झूमती , लेकर नई उमंग ।
12 अंतिम महीना साल का , फागुन माह विशेष
ख़ुशी ख़ुशी होता विदा , सुख की दुआ अशेष।
13 वसन्त की पदचाप सुन , बौराया है आम
फूलों नेस्वागत किया , पूजित हैअब काम ।
No comments:
Post a Comment