Friday 22 June 2018

कुंडलिया क्रमांक 5

1        पैसा तो है काम का ,पर है यह शैतान
    पैसे से सब कुछ मिले, है तो यह बलवान ।
       है तो यह बलवान, दुश्मन है सद्भाव का
     देता है पद -मान, सिक्का चले प्रभाव का।
      सुन चन्द्रा की राय,    यह मीठी छुरी जैसा
      बनो न इसके दास, नहीं है सब कुछ पैसा ।

2      जले दीप मन प्रीत के,हरे कलुष अंधियार
       मन मे शुभता यह भरे,जग में हो उजियार ।
       जग में हो उजियार ,सदा ही खुशियां रहती
        मन में यह अरमान,दूध की नदियां बहती ।
       मिटे द्वेष अभिमान,  हृदय में अब प्रीत पले
     झूमे आंगन द्वार,   ज्ञान का जब दीप  जले ।

3           माता की ही गोद मे, पलते हैं भगवान
     मानव बनकर जगत में, करते जग कल्यान ।
       करते जग कल्यान , लगे सबको मनभावन
         लेते हैं शिशु रूप,  करें लीला अति पावन।                     चन्द्रा करे प्रणाम,कहे हैं धन्य विधाता
        ममता है अनमोल, जगत जननी है  माता

      
4            मेरे भारत देश का,यही तिरंगा शान
        लहराता आकाश में,इस पर है अभिमान ।
         इस पर है अभिमान,सभी हम भाई भाई
          सभी धर्म के लोग , हिन्दू मुस्लिम इसाई ।
     आपस मे है प्यार, मन अभिमान स्वदेश का
          तभी अलग पहचान, मेरे भारत देश का

5         जीते हैं जो जिंदगी, होकर के बेहाल
       बड़ी उमर के लोग सब, पूछें यही सवाल ।
          पूछें यही सवाल, हरे दुख कौन हमारा
       सुखी रहें सन्तान ,सोच के सब कुछ हारा ।
          झेल समय की मार,प्रेम से आंसू पीते
       क्षमा दान का मूल,सोच कर जीवन जीते ।

6       : पीढ़ी दो के बीच में, कैसा चक्कर हाय
          छोड़ें अपने देश को, यहां बसे हैं आय ।
            यहां बसे है आय, याद है अपनी माटी
             दूर हुआ है देश ,नही भूले परिपाटी ।
         कहती चन्द्रा आज, बने हैं हम तो सीढ़ी
       हम पर करती नाज, हमारी भावी पीढ़ी ।

1 comment:

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