Monday 18 June 2018

कुंडलिया क्रमांक -4


1        : लगता भारत देश है,महा पुण्य का धाम
       इसकी पूजा हम करें ,निश दिन करें प्रणाम।
            निश दिन करें प्रणाम , प्रेम से रहते सारे
          लगते ज्यों परिवार, लोग हैं इसके न्यारे ।
        सुन चन्द्रा की बात, प्रीत का झरना बहता
        यह तो जैसे स्वर्ग, सदा ही हमको लगता ।

2     करना है नित योग अब,रखता यही निरोग
      स्वस्थ रखे मन को यही,खुश रहते हैं लोग।
        खुश रहते हैं लोग, कटे दिन हंसते हंसते
          जागे है सदभाव, प्रेम से मिलकर रहते ।
         चन्द्रा कहती आज ,सजग जीवन मे रहना
      बढ़ता है सहयोग ,योग  तुम प्रतिदिन करना ।

3        आया अब मधुमास है,छाई मस्त बहार
         फूलों की है पालकी,चलती मस्त बयार ।
        चलती मस्त बयार, सुहानी सुरभि लुटाती
       आई है यह भोर, स्वर्ण किरणें बरसाती ।
         झूमे तरुवर पात, सभी का मन हरषाया
       खिली सुनहरी धूप,सुहाना मौसम आया ।

4       जागें जल्दी ही सुबह,लेकर प्रभु का नाम
        मात पिता के छू चरण, करना सदा प्रणाम ।
         करना सदा प्रणाम,सफल हो जीवन सारा
               मिले सदा आशीष, गंग की जैसे धारा ।
              याद रहे यह बात , सदा ही रहिये आगे
        लेकर प्रभु का नाम ,भोर में प्रतिदिन जागें ।

5     जैसी भी हो परिस्थिति,मुश्किल या आसान
        धीरज सदा ही रखना ,मुख पर हो मुस्कान ।
          मुख पर हो मुस्कान, कष्ट में हिम्मत रखना
         खुद पर हो विश्वास, कर्म पथ पर ही बढ़ना ।
          दुख  दुविधा हो संग ,स्थिति हो चाहे  कैसी
               हिम्मत देती जीत , चुनोती चाहे जैसी ।

6     मनमानी लगती भली,पर मन  फिर पछताय
       वश में करना है कठिन,मन पर वश ना पाय ।
       मन पर वश ना पाय, अंकुश मन में लग सके
      जनम धन्य हो जाय , पांव तले मंजिल उसके।
           जीवन के दिन चार,ये बात है जानी मानी
          है यह सच्ची बात, हानि करती मन मानी ।

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