चार चरणों का सम मात्रिक छन्द है ---
-----प्रत्येक चरण में 16--16 मात्राएं होती है
--- समांत में 2 -2 ,2 -11 ,11 -2
----- पहले चरण का तुक दूसरे चरण से और
तीसरे चरण चरन का तुक चौथे से मिलना चाहिए
समान्त में जगन (1 2 1 ) और तगण (2 2 1 )
वर्जित हैं .
चौपाई के आरम्भ में 22 और अंत मे 22 हो तो अति उत्तम माना जाता है ।
उदाहरण ----
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीश त्रैलोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा
No comments:
Post a Comment