41 : चलो चलें हम नदी किनारे ,
मंदिर में ठाकुर के द्वारे ।
जो हैं हम सब के रखवारे ,
करें वंदना मिल हम सारे ।।
2 जीवन नैया है मंझधारे,
रोम रोम बस उसे पुकारे ।
ठाकुर जी को भज ले प्यारे
ठाकुर जी हैं जग में न्यारे ।
3 सब जग की है मातु भवानी,
हिम नगरी की सुता हिमानी ।
कृपा सिंधु है यह कल्यानी ,
आशुतोष शिवप्रिया शिवानी ।
4 नारी खुद की लाज बचाना,
किसने तेरा गम पहचाना ।
अपनी तुम पहचान बनाना ,
अपना गौरव स्वयं बढ़ाना ।
5 प्रेम अमिय जब से है चाखा,
बने मधुर तब से है भाखा ।
हम हैं एक पेड़ की शाखा
कण कण प्रभु निज छवि कर राखा।
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