Saturday, 7 July 2018

चौपाई --क्रमांक -2

1           सूरज का नित लगता फेरा ,
               दूर हटे न मन का  अँधेरा ।
              टूट रहा आलस का घेरा ,
              जब तुम जागे तभी सबेरा ।

          2    पथ जो है जाना पहचाना
                फिर भी लगता है बेगाना ।
                 साँसों को है ढाल बनाना ,
          मुश्किल पथ पर चलते जाना ।

3         बचपन की है मीठी यादे,
           भोली बातें सहज इरादे ।
          रोना धोना खूब मचलना ,
     चिड़िया कौव्वा देख बहलना ।

4         झूमे तरुवर मन अनुरागा ,
       देख वसन्त प्रीत  मन जागा ।
       किलकत उपवन पुष्प परागा ,
     हुलसत जलज सुरम्य तड़ागा ।

5         नारी है ममता की धारा,
          गोदी में पलता जग सारा ।
           शिशु को देती वही सहारा ,
        उनसे ही तो जग उजियारा ।

---++---------++----------++----------++------++------

      [04/02, 2021
    हे माँ शारदे वरदान दे
   मां तू सद्बुद्धि का दान दे।

  हम मनुज अति मूढ़ सारे
    सुकर्म हम करें पहचान दे।

खिलकर फूलों सा हम महकें
   मातु हमे यही उनवान दे।

मधुरस घुल हो स्वर हमारा
कोयल सी सुरीली तान दे ।

अर्पित चरणों में शब्द सुमन
कविता छंद रस का ज्ञान दे।

करें भक्ति अविचल तेरी मां
यश कीर्ति सुख सम्मान दे ।
च नागेश्वर
👌👌👌👌👏👏🙏🙏

No comments:

Post a Comment