1 कितनी सुन्दर प्यारी धरती,
सब जीवों का पोषण करती ।
अन्न फूल फल पूरित रहती ,
हरी भरी मन पुलकित करती ।
2 सावन में बरसा है पानी,
बूंद बूंद लिख रही कहानी ।
हर्षित मन है धरती रानी ,
ऋतु पावस है लगे सुहानी।
3 छोड़ो प्रेम गीत अब गाना ,
छोड़ो अब यह रास रचाना ।
उथल-पुथल अब तुम्हीं मचाना ,
तुम्हें देश की लाज बचाना ।
4 . नारी तो है जन कल्यानी ,
उसकी क्षमता सबने जानी ।
मुश्किल में भी हार न मानी,
उसकी महिमा है जगजानी ।
5. दूध मलाई खूब खिलाएं
बच्चे वीर सपूत बनाएं ।
कर्म वीर का पथ दिखलाऐं
अपना गौरव स्वयं बाधाएं ।
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कर्म योग सिखलाती गीता
करें सभी हम कर्म पुनीता.
जीवन कला सिखाती हमको
आओ मिल कर पढ़ ले गीता.
2
बड़ी रसीली हरि मुख वाणी
चित आनंद दायिनी गीता.
एक मंत्र ही एक ही नाम
ज्ञान सार है भगवद गीता.
3
पद्मनाभ के मुख कमलों की
खुशबू जग फैलाती गीता.
गंग नीर सम निर्मल कारी
भय शोक हारिणी गीता.
4
ज्ञानदायिनी भुवन मोहिनी
मन वाणी में रहती गीता.
भवसागर से पार लगाती
सत्यम शिवम सुंदरम गीता
चंद्रावती नागेश्वर,कोरबा
18, 7 , 2023
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