1 सावन में बरसा है पानी ,
बूंदों से लिख रही कहानी ।
हर्षित मन है धरती रानी ,
ऋतु पावस है लगे सुहानी ।
2 सही गलत कुछ जान न पाये ,
शरण आपकी प्रभु हम आये ।
श्रद्धा सुमन साथ हम लाये ,
तव चरणों में शीष झुकाये ।य
3 मन के भेद को सदा मिटाना ,
इन कामों में नही लजाना ।
रिश्तों का संसार सजाना ,
जीवन का आनंद उठाना ।
4 अंधियारे में दीप जलाना ,
पथ जो भटकें राह दिखाना
दुश्मन को भी प्रीत सिखाना ,
रोते को भी आज हंसाना ।
5 रूठें हैं जो उन्हें मनाना ,
रिश्तों की फिर डोर थमाना ।
बिखरे मनके चुन चुन लाना ,
धार प्रीत की सदा बहाना ।
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