1. आशायें जीना सिखलाती,
मन खुश हो तो धरती गाती ।
मन में हो दुख वही सताती,
मन का ही प्रतिबिम्ब बनाती ।
2. जीवन है रिश्तों का मेला,
मनुज जनमता यहाँ अकेला ।
जग तो है पैसे का खेला ,
प्रीत बजरिया चले न धेला ।
3. खुशी भरी हो सब की झोली,
. प्रीत भरी हो अपनी बोली ।
. सीमा पर भी चले न गोली,
रहें सभी जैसे हमजोली ।
4 बालक निश्छल मन के होते
बीज खुशी के मन में बोते ।
चिंता फिकर नहीं ये करते ,
। प्रेम भाव को खूब समझते ।
5 ।दीन दुखी को गले लगा लो,
इनकी भी तो प्यास बुझा दो ।
जीने की कुछ आस जगा दो ,
खुशियों की कुछ झलक दिखा दो ।
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