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1 छाता लेकर बरखा रानी,
है चली सैर को दीवानी।
सुन्दर नारी राह अजानी,
पर लगती जानी पहचानी ।
2 मिली राह में बिजली रानी ,
याद आएगी कसम पुरानी ।
शुरू हुई फिर वही कहानी,
मन तो चाहे वही निशानी ।
3 नदिया पर्वत पानी पानी ,
खुशहाली की फसल उगानी ।
नही चलेगी अब नादानी ,
रूप धरा का धानी धानी।
4 उपकारी को भूल न जाना ,
जीवन अपना सुखद बनाना ।
परहित में ही समय बिताना,
जीवन अपना सफल बनाना ।
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