Wednesday 15 August 2018

हरिगीतिका -- क्रमांक 4

2
***द
           💐राष्ट्र को समर्पित💐

1      ध्वज ही हमारी आन है, ये ही हमारी शान है
        इसके लिये कुरबान तो,हर पल हमारी जान है।
      अपना वतन अपनी जमीं,सबसे बड़ा वरदान है
      ऐ देश है तुमको नमन , तुम से मिली पहचान है।
      
           : (वतन का मात्रा भार 12  होता है)

         
2    हम देश को करते नमन , मिल कर रहें इसके लिये
दें जान भी हो अरि दमन ,जीवन सफल  हँस के जिये।
   पल पल प्रगति की राह में , मिलकर बढ़ें हम शान से
     बलिदान पथ पर नारियाँ , बढ़ती रहें अभिमान से।

3: कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,कट जायगी दुख की घड़ी
मिल कर सभी गम बांट लें, जुड़ जायगी मन की कड़ी।
हम सोच कर फिर हल करें, होवे  अगर विपदा बड़ी
मिल जुल करें काम हम सब, लग जायगी सुख की झड़ी।


  4     यह कामना जगती करे,नव भोर पाने के लिये
            बेचैन है धरती नया सूरज उगाने के लिये।
     है दूर तक तम आज भी,आकुल उजाले के लिये
      संकल्प मन में चाहिये, दुख से उबरने के लिये ।

        
 

    
5   करनी रही जैसी मिले परिणाम वैसा ही सदा
खुद लोभ से तुमने बुला ,  कर शीश अपने आपदा ।
मन तो चपल होता बहुत,रह संयमित मन सुख मिले
रख सादगी चल प्रीत पथ कर दूर आपस के गिले ।

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