Wednesday 14 November 2018

रूपमाला--क्रमांक 10

1     बाल दिवस का अवसर ये बाग है गुलजार
        एकता की डोर में रख, गूंथ लें हम हार ।
      ले चलो अब देश का ध्वज,कर रहे जयकार
         वीर ये बालक सभी तो,है हमे अभिमान ।

2             हैं हमीं नन्हे सिपाही,हम न जाने हार
         छल कपट से दूर रहते, जानते बस प्यार ।
         देश की लेकर शपथ हम,चल पड़े इस बार
         साथ चलिए आप सब तो,जीत ले संसार ।

3       हम करें संकल्प मन से,कुछतो करें विचार
            की सोचें सभी तब ,हो बड़ा उपकार ।
        हम वहम  को छोड़ने का,अब करें अभ्यास    
           दूर कर मत भेद अपना,हम बनेंगे खास ।

4      हो अगर कोई नियम तो,है नहीं वह प्यार
      देखता जो कीमत अगर,व्यर्थ नहीं उपहार ।
        प्रीत हर रूप को करता , है सदा स्वीकार
           प्रीत में होता नहीं है ,जीत या फिर हार ।

5    आज है दिन ये सुहाना, नाचता मन मोर
         गोद में आई परी है, मुस्कुराता भोर ।
       मिट गई सब दूरियां जो,,पास आया नूर
   गा रहा है मन हुलस कर,दुख हुए सब दूर।

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