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1 पंथ निहारूँ तेरा कब से ,थकित हुए हैं नैन
भेजो पाती सजना मेरे ,आ जाए मन चैन ।
2 मैं तो हुई बावरी साजन,ना चिट्ठी न संदेश
बैरी हो गए ये दिन रैन, बैठे तुम परदेश ।
3 नारी पुरुष बनें सहयोगी,रचते नव संसार
मिल जुल कर सब काम करें तो, आपस में हो प्यार
4 मन में प्यार उमड़ता है तब ,पांव पड़े जंजीर
दुश्मन उनका जग बनता है ,मन में बढ़ता पीर।
5 काम जो करते देश का हैं होते हैं वो नेक
सहज नहीं होता पथ उनका,रोकें राह अनेक ।
6 चिंता में दिन कटते उनके,मन में हुए हताश
पाक साफ छवि देकर भी तो, जनता करे निराश ।
7 प्रेम हृदय में बसता है जब, मन बढ़ता विश्वास
बिना प्रेम के रिश्तों में भी,आती बहुत खटास ।
8 मीठे मीठे वादे करते , झूठे झूठे लोग
आलस बैठा है नस नस में,लाइलाज यह रोग ।
9 बेवफा बना है मौसम भी,करे शीत से प्यार
देख के चंचल हवा तुरंत, बदले है व्यवहार ।
10 दृढ़ संकल्प करो मन में अब,बदलो तुम इतिहास
अहंकार की राह न जाना,जीतो फिर विश्वास ।
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