1 पर हित में जीवन अर्पित कर,उपकारी बन जाते
सतपथ पर चलने वाले तो,जीवन सफल बनाते।
2 दर्द भूल कर सदा जिया है,आंधी से टकराये
लिख कर गीत हौसलों के तुम,आगे कदम बढ़ाये ।
3 बढ़ा लिया है अगर कदम जो,कंटकों से क्यों डरें
लोग देखकर हमे हँसे यदि, काम ऐसा क्यों करें।
4 लिखा भाग में आंसू जिसके,नाम उसे दें नारी
छोड़ कुरीति बढ़ी है आगे, नहीं रही बेचारी ।
5 शीत लहर का कहर बड़ा है,बच के रहना भाई
दौड़े दौड़े आती पछुआ,वही कंपाती आई।
6 गगरी छलकी जंहा सुधा की, वह प्रयाग कहलाया
पावन मन से पुण्य करे जो, मुक्ति रत्न वह पाया ।
7 अंतर्मन का द्वेष जला कर, धूनी अलग रमा लो
इसकी उसकी चुगली छोडो,काम नया जमा लो ।
8 अपने बल पर जीना है तो,काम अनूठा करना
आग लगा मन के कूढ़े को,सोच सही तुम रखना ।
9 मति भ्रष्ट अब ऐसी हो गई,लोगो को बहकाते
इंसानों के साथ देव को,दलित वर्ग में लाते ।
10 अच्छा बुरा जगत में सब कुछ,जैसी सोच हो चुनता
आत्मा जिसकी निर्मल पावन ,शुभ कर्म वही करता।
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