1 जग का रूप वही दिखता है, जो नजरों ने पाया
जीवन में वही मिला सबको,जैसा कभी कमाया ।
2 प्रेम सार है इस जीवन का,प्रेम बड़ा है सबसे
भरे त्याग का भाव यही तो, मन मे आता तब से।
3 शाम ढली तो निशा सुहानी, नभ में तारे आये
चाँद चांदनी दोनो मिलकर ,प्रीत कलश छलकाये ।
4 कागज के वह पंख बना कर,डोर संग वह रहती
मन के भाव हवा जैसे हैं ,बड़े मौज से उड़ती ।
5 देश द्रोह के अपराधी सब,गीदड़ बन के आये
सुभाष की पावन धरती पर,हुआ हुआ ही गाये।
6 मिले हुए हैं सारे गीदड़ ,एक शेर से लड़ने
हिम्मत होती नहीं अकेले ,कभी सामना करने ।
7 भाग दौड़ के जीवन में जग, चैन सदा ही खोता
करें काम हम समझ बूझ कर, अमन चैन मन होता।
8 सारे कर्म करें अच्छे हम,किस्मत होगी दासी
नियत सबकी हो अच्छी तो,रहती दूर उदासी।
9 मिला नहीं मन मीत हमें तो,जीते रहे अकेले
उम्मीदों की चादर लेकर,ओढ़े रहे झमेले ।
10 हमने हार नहीं मानी जब, दुख ने घुटने टेके
तरह तरह से हमें लुभाने,जाल हमीं पर फेंके।
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