विरासत पीढ़ियों की *
लंच के समय मे टिफिन खोलकर खाते हुए के वि की माधवी और वैशाली मेम आपस में बातें भी करती जा रही हैं --माधवी मेम दो दिन बाद हिंदी दिवस है ,तो क्या क्या प्रोग्राम करवा रहे है आप ?
--- वैशाली मेम क्या बताऊँ ? अभी तक नाम भी पूरे नहीं आये हैं ।काम ही काम है । पर सब खाना पूर्ति है । ऐसे प्रोग्राम बन्द करवा देना चाहिए। शासन का आदेश है तो -भाषण , गीत,कविता की प्रतियोगिता करवानी है ।सूचना निकाल दी गई है।
--- मुझे तो लगता है कि -हम" हिंदी दिवस "नहीं पर नागपंचमी मनाते हैं ।
उस दिन जैसे नागों के दर्शन कर ,उन्हें दूध पिलाया जाता है, पूजाकी जाती है दूसरे दिन से दिखा
तो डंडे बरसाए जाते हैं। फिर बात आई गई हो गई।
- हिंदी दिवस के दिन - कार्यक्रम अध्यक्ष ने उदबोधन में कहा -हमे यह सोचना चाहिए, कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है,अपने देश में, घर,बाहर हिंदी बोलें,लिखे,,पढ़ें,सीखें सिखाएं ।यह भी हमारा नागरिक कर्तव्य है,राष्ट्रीय धर्म का अनिवार्य अंग है ।
राष्ट्र धर्म का पालन हमारा स्वाभिमान जगाता है।हमें यह समझना और सोचना है, कि जिस भाषा को विकसित होने में सैकड़ों साल लगे हैं।उसे विकृत करने का हमे कोई अधिकार नहीं है ।हम कौंन सी विरासत अपनी अगली पीढ़ी को सौंप रहें हैं ?यह बात चिंतनीय जरूर है ।
ज्ञानवर्धन के लिए अन्य भाषा सीखना पढ़ना जरूरत अनुसार बोलना भी चाहिए ।
हमारे विद्यालय में एक कक्षा में 30 बच्चों को ही प्रवेश देते हैं, ताकि शिक्षक महीने में एक दिन ,- एक दिन अपनी कक्षा के एक -एक बच्चे के घर जाकर पालक से पढ़ाई सम्बधी समस्या बताये समाधान सुझाये। इसी कड़ी में हम प्रियेश के घर गए -- भाषा की विरासत का हस्तांतरण कैसे होता है एक बानगी देखिए -- जोअधिकांतः घरों में देखा गया है )
आइये मेडम बैठिये।
प्रियेशसे --तुम्हारी मेडम आई है -दो गिलास मा वाटर ले आओ, इंहा बैठो।
अउर हाँ चचिया से कह देव- नींव (क्राकरी) ककरी में हाफ हाफ टी कुछ बिरेक फास्ट भी दे जावे------
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
9425584403
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लाघुकथा लोक समारोह-21 (द्वितीय)
आदरणीय संचालक महोदय सम्मननीय मंच एवम
कथाप्रेमी मित्रोंको सादर समीक्षार्थ --/
शीर्षक *नारियल पानी*
विमला के दादाजी शिवमंदिर के पुजारी हैं । वह सुबह सुबह उनके साथ मन्दिर की सफाई करने जाती है।
फिर वहीं बैठ कर जाप करती है,अपना होमवर्क करके पढ़ाई करती है ।कुछ दिनों से उसने देखा कि शिव जी में प्रतिदिन सैकड़ों नारियल चढ़ते हैं उन्हें फोड़ा जाता है ,तो नारियल का पानी व्यर्थ ही वहीं जमीन पर फेंक दिया जाता है।
उसने अखबार में पढा था ,कि नारियल पानी बहुत स्वदिष्ट, स्वास्थ्य वर्धक और रोग निवारक होता है।
उसने रविवार को मन्दिर के पीछे से दो तीन मटके साफ करके एक एक साफ कपड़ा भी उसके ऊपर बाँध दिया । नारियल फोड़ने वाली जगह पर मटकों को रख दिया वहां तख्ती में* कृपया नारियल फोड़कर उसका पानी मटके में ही डालें* लिखकर दिया टंगा दिया -।
स्कूल से आकर शाम को देखा दो मटके नारियल पानी से भर गए। 5रु प्रति गिलास की दर से बेचकर 100रु मिले । एक हप्ते में 1000 रु इकट्ठा करके । स्कूल की मेडम के माध्यम से प्रधानमंत्री सहायता कोष में दान भी कर दिए ।
उसे बहुत शाबासी मिली।
व्रत ,पर्व,के दिनों में 4 से5 मटके नारियल पानी जमा हो जाते हैं। उसके बड़े भैया ने तो नारियल पानी बेचने की छोटी सी दूकान भी अब लगा लिया हैं।
डॉ चंद्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
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शीर्षक --* शहादत का जयघोष *
वन्दिता और कैप्टन हर्षित की15 जून को मैरिज एनिवर्सरी है । उनके लिए यह एनिवर्सरी खास है। नवम्बर में उसे हेडक्वॉर्टर में पोस्टिंग मिली है। दोनो को साथ रहने का मौका मिलेगा । इसके पहले वह कुछ समय ससुराल तो कुछ दिन मायके में रहती । उसने सोचा था, कि इस बार मम्मी पापा ,सास ससुर सबके साथ दिल्ली मेंअपने क्वाटर में शानदार एनिवर्सरी मनाएंगे ।
हर्षित ने बताया -कि उसको क्वाटर तो एलाट हो गया लेकिन जनवरी में जम्मू बार्डर में पोस्टिंग हो गई । फिर मई में गलवान घाटी में भेज दिया गया। आर्मी वालों की ड्यूटी तो ऐसे होती है। जांबाज बहादुर जवानों के लिए तो यह फख्र की बात होती है।अपनी काबिलियत प्रूफ करने का मौका मिलता है हौसला बढ़ता
है । बार्डर में जब पोस्टिंग होती है,तो कई कई दिनों तक बात भी नहीं हो पाती ।
वन्दिता ने हर्षित को जब यह खुश खबरी दी - कि वह पिता बनने वाला है , वह खुशी से झूम उठा। ड्यू डेट 15 अगस्त की बताया है डॉक्टर ने। तब तक स्थिति सामान्य हो जाएगी।हम सब साथ इंडिपेंडेंस डे मनाएंगे।
वक्त क्या रंग दिखता है कोई नही जानता ।
जब से घाटी में तनाव बढ़ा है चीनऔर भारत के आमने सामने मुठ भेड़ की खबरें मिली है वन्दिता और घरवालों की चिन्ता बहुत बढ़ गई है । 12 जून की शहादत की खबर ने सबकी नींद उड़ा रखी है।
दो दिनों से वन्दिता की तबियत ठीक नहीं है ।
बी पी बढा हुआ है ।चक्कर से आ रहे हैं घर में डॉक्टर नर्स की आवा जाही बढ़ गई है । 15 जून को सुबह दस बजे मिल्ट्री वेन घर के सामने रुकी । उसमे से तिरंगे में लिपटे हर्षित को उतारते देख वन्दिता चीख मार कर गिर पड़ी । सारा शहर उसे विदाई देने आचुका है। अचेत वन्दिता को भीतर ले जाया गया दो घण्टे के बाद वन्दिता का समय पूर्व प्रसव हुआ।जिसे सघन चिकित्सा हेतु मिलेटरी हॉस्पिटल ले जाने की अनिवार्यता के कारण एम्बुलेंस बुलाया गया।
जाते जाते उस शिशु ने अपने रुदन से पिता की शहादत का जयघोष किया .....
जैसे यह कह रहा है ---- कि पापा समय से पूर्व ही मुझे आना पड़ा ,आपको सेल्यूट करता हूं, बिलख -बिलख कर विदाई देता हूँ,मैं वचन देता हूँ ,आपके सारे कर्तव्यों को मैं पूरा करूँगा...
...डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
शंकर नगर छ ग रायपुर
2ग4 ,6,2020
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