हार्दिक ~ बधाई ! बधाई ! बधाई !
------------------------------------
आयु बढ़े शिक्षा बढ़े, मिले लाड़ सम्मान ।
उन्नति के चढ़ते रहो, नित्य नये सोपान ।
शुभमंगल हो जन्मदिन, है हार्दिक आशीष ।
मां पापा को पुत्र पर, रहे सदा अभिमान।
जन्म दिन की अनन्त मंगलकामनाएँ
सुभाशीष !
-----------------'----------++----------'-----------+
पारिजात की कामना ~ आप जियें सौ साल ।
सुख, वैभव, यश, स्नेह से होकर मालामाल ।।
- 'पल्लव'
आप सबके स्नेह ने, कर दिया मालामाल
जीवन ऊर्जा मिल गई, देख लेंअगला साल
[11/02, 12:19] Chandra
रखें लक्ष्य मन में सभी,प्यार खुशी सहयोग
खुशबू सबको चाहिए ,पेड़ न रोपें लोग
प्यार ज्ञान सम्मान की,होती सबको चाह
खास व्यक्ति ही पा सकें, मुश्किल है यह राह।
सुंदर तेरी दृष्टि है,प्यारा लगे जहांन
प्रीत दिवस अब पास है,मुझको प्रेमी जान।
बिना शर्त यदि प्रीत हो,जब तक तन में प्रान
सारा जग प्यारा लगे,प्रेम बने वरदान।
--+-----+----+----------------+-----+---+-----------+++++
।आपकी शुभकामनाओं का आकाश
जीवन में भरता है प्रेम और विश्वास
मन के अंधियारे जो कोने हैं उनमे
हर रात दिवाली का देता एहसास
च नागेश्वर
आयु बढ़े शिक्षा बढ़े, मिले लाड़ सम्मान ।
उन्नति के चढ़ते रहो, नित्य नये सोपान ।
शुभमंगल हो जन्मदिन, है हार्दिक आशीष ।
मां पापा को पुत्र पर, रहे सदा अभिमान।
जन्म दिन की अनन्त मंगलकामनाएँ
सुभाशीष !
---------/--------- *--- --------/-- --- -----/
[11/02, 12:19] Chandrawati :
रखें लक्ष्य मन में सभी,प्यार खुशी सहयोग
खुशबू सबको चाहिए ,पेड़ न रोपें लोग
प्यार ज्ञान सम्मान की,होती सबको चाह
खास व्यक्ति ही पा सकें, मुश्किल है यह राह।
सुंदर तेरी दृष्टि है,प्यारा लगे जहांन
प्रीत दिवस अब पास है,मुझको प्रेमी जान।
बिना शर्त यदि प्रीत हो,जब तक तन में प्रान
सारा जग प्यारा लगे,प्रेम बने वरदान।
[11/02,] Chandrawati : मेरा होम वर्क
आन पड़ा था विकट समय तब, पांच माह की बच्ची छोड़
पिता अकेला निकला घर से,ढूढें दूध नियम को तोड़।
हुई संक्रमित ड्यूटी पर माँ,बेबस ममता बंधन तोड़।
नत मस्तक थे लोग सभी तो,उस जननी को करें सलाम
कोरोना का युद्ध लड़े वह, जीवन है सेवा के नाम ।
हाड़ कँपाती ठंड में, निकला नवल प्रभात
नमन करें हम सूर्य को ,बीत गई अब रात ।
जब तक जीवन डोर है, मानेंगें ना हार
भय को देना मात है , स्वागत करें प्रभात।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
[03/07, 1:36 pm] Chandrawati Nageshwar: बरसें बादल झूम के,भीगा हुआ प्रभात
आज खिला दिल फूल सा, बोल भई
सुप्रभात।
रिमझिम बारिश हो तभी,औचक निकले धूप,
इन्द्रधनुष का मोहता, है सतरंगी रूप।
10 ,12,2020
----------------
पास आते भी डरेंगी अब बलायें !
आपसे इतनी मिलीं शुभकामनायें !
शब्द हल्का लग रहा आभार का है !
ज़िन्दगी में रस सभी के प्यार का है !
मोल इस अनमोल का हम क्या बतायें !
आपसे इतनी मिलीं शुभकामनायें !!
- 'पल्लव'-2021
":":":":":":":":":":":":":":":":":":":"
जितना भी ग़म गहरा हो ,
अपनों का ही एहसास दिलाते हैं !
घनी- काली रात में ही अक्सर
तारे ज़्यादा झिलमिलाते हैं !
:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:
सुप्रभात मुक्तक लोक में
सभी स्नेही सुधी जनों का
मुस्कुराते हुए, गीत गाते हुए, गुनगुनाते हुए
सहर्ष स्वागत
आत्मीय अभिनन्दन !
l
***
सुख-दुख का संगम है जीवन, नित्य कहे प्रभात ,
दुख से सीखें संयम साथी, सुख का दें सौगात !!
मैं सूरज को ढूंढ रही थी,
सुन पंछी के शोर।
चहक चहक कर बोल रहे थे,
स्वागत है नव भोर।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
सिवनी मध्य प्रदेश
,---/---------///-----------------///----
सूर्यदेव से ऊर्जा लेकर ,आया नवल प्रभात
झूम उठे हैं तरुवर सारे,पुलक भरे हैं पात।
फूल खिले भँवरें मुस्काऐं ,गाते स्वागत गान
उजली किरणें ले कर आई,खुशियों की सौगात।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
[03/01, 17:11]
: हमे बीसवां जब लगता है
स्वप्न नया मन तब जगता है।
मिलें मीत मन यह कहता है
हर्ष भरा मन नित रहता है।
बीस बीस की जोड़ी आई
लगती है विष भरी लुगाई।
जग के सुख में आग लगाई
वर्ष नया स्वागत है भाई ।
[03/01, 17:11] Chandrawati Nageshwar: सपनों की सौगात ले,
आया है नववर्ष
नई भोर के दर्श से,
उमड़े मन में हर्ष।
वक्त कीमती जान लो,
कहता बीता वर्ष
जीवन तो अनमोल है,
करें खूब उत्कर्ष।
: प्राची पहने है खड़ी,सुखद लाल परिधान
तेजस्वी नव सूर्य हैं,करते ऊर्जा दान।
किरणों का उपहार ले ,आया नवल प्रभात
हर्षित मन हम सब कहें,तुम्हें नमन सुप्रभात।
चन्द्रावती नागेश्वर
बीत गया है बीस अब, करलें नव शुरुआत
शत शत तुमको है नमन, स्वागत है सुप्रभात।
जीवन का सच आज है,खुद पर रख विश्वास
मन की खिड़की खोल तू ,कहता नवल प्रभात।
च नागेश्वर
बहुत कीमती आज है,कल में भरे उजास
अवसर है नव वर्ष का , मन में नव उल्लास।
बीत गई जो भूल कर ,करें नई हम काम
फूलों से खिलते रहें,मन में भरें सुवास ।
जीवन पाकर हम करें,ईश्वर का आभार
कर्म करें ऐसा सभी ,स्वप्न बने साकार।
---/-----------*----------------*-------------/-- -----//
सभी साहित्य प्रेमी आत्मीय जनों को रंगोत्सव की सतरंगी बधाइयाँ,नेह चाशनी में पगी मीठी मीठी शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है ........
इस होली पर देखिए , कोरोना की मार
सूना सूना सा लगे , मस्ती का त्यौहार।
दूर दूर सब ही रहें , गाल हुए ना लाल
रंग लाल पीले हुए , दुख में भरा गुलाल।
है मौसम मधु मास का, खिलें न फूल पलास
कोरोना को देख कर , जंगल हुआ उदास ।
होली फिर भी आ गई , रंग हुये बेताब
सभी लगाते रंग हैं , मुख पर ढंके नकाब।
फागुन के दिन चार हैं , खुशियाँ आईं द्वार
प्रीत रंग में डूब के , खुद पर कर उप कार।
डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
रायपुर छ ग
**-*********-*********-************
No comments:
Post a Comment