संरक्षक परम श्रद्धेय प्रो.विश्वंभर शुक्ल जी एवम् सुधी मंच को सादर निवेदित प्रदत्त छंद पर आधारित गीत :-
प्रदत्त छंद - ' द्विगुणित पद पादाकुलक /राधेश्यामी/मत्त सवैया ' (सममात्रिक छंद).
विधान - 16,16 =32 मात्रा , आदि में गुरु अनिवार्य.
यदि आदि में द्विकल के बाद त्रिकल आता है तो एक और त्रिकल रखकर दो चौकल बनते हैं.
********************************************प्रदत्त छंद पर आधारित गीत :-
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जय-जय जय-जय भारत माता, तव वंदन मैं निशिदिन गाता |
तेरा आँचल भाये मुझको, सुख वैभव सब मैं पा जाता ||
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सुंदर रूप अनोखा जग में, गाती दुनिया तेरे गाने |
सबको भाता वेश तुम्हारा, सब गाते हैं नवल तराने ||
तव गुण गाऊँ तुम्हें मनाऊँ, सुंदर जग में अपना नाता |
तेरा आँचल भाये मुझको, सुख वैभव सब मैं पा जाता ||
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माता वंदन तव अभिनंदन, सबको चरण-धूलि है चंदन |
रखना माता ममता सुंदर, कट जायें अब सब छल-छंदन ||
साक्षी आज बने हैं सुंदर, नीला अंबर धरती माता |
तेरा आँचल भाये मुझको, सुख वैभव सब मैं पा जाता ||
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देना खुशियाँ सबको माता, हम याचक झोली फैलाते |
जन्में माता तव चरणों में, हम सब तुझको सदा मनाते ||
भाती शस्य श्यामला मूरत, रक्षक तुंग हिमालय भाता |
तेरा आँचल भाये मुझको, सुख वैभव सब मैं पा जाता ||
जय-जय जय-जय भारत माता, तव वंदन मैं निशिदिन गाता ||श्यामराव धर्मपुरीकर ।।
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