Sunday 28 January 2018

दोहावली------मौसम---

1   टेसू खिले वसन्त में , वन में आग लगाय ।
    विरहन को संताप दे , अंग अंग दहकाय ।

2  सरसों फूलें खेत में  , मन में भरे उमंग ।
     हवा दीवानी हो गई , चली सुमन  के संग ।

3  रंग बिरंगे खिल गये ,     सुंदर सुंदर फूल ।
    ऋतु बहार की आ गई , मौसम है अनुकूल ।

4   जग उपवन के सुमन हम , भांति भांति के रंग ।
      मन मोहक मुस्कान है ,     रहते  ख़ुशबू संग  ।

5,   तन कँपाती हवा बहे, पत्ते छोड़ें साथ ।
     वसनहीन  सब  पेड़ हैं , बेबस  दीन अनाथ ।

6  दिवस सुहाने उड़ गये , गुजरे दिन  के संग ।
     लम्बी रातें कर रहीं ,    आज भोर से जंग।

7    शीत लहर है चल रही , जमता सरिता नीर ।
      बहते रिश्ते थम गये  ,  मन है बहुत अधीर  ।

8    धूप सुहानी लग रही , लग ठण्डी के अंग
        आओ बैठें धूप में ,   खूब जमेगा रंग ।

9    शीत लहर से कांपती ,    खूब जड़ाती रात ।
       धुंध कोहरा सब मिलें , हिम की चली बरात ।

10    शीत लहर ने हर लिया , उजला गोरा रूप ।
        मुंह छुपा कर चल रही , भय से पीली धूप ।

11     मेघों के छल छद्म से , दिनकर हैं भय भीत ।
         धूप लगती गुमसुम सी , तनिक न भाये शीत ।

12      सर्द हवा पहरा  करे , रहती गुमसुम  धूप ।
           प्रखर प्रभामय सूर्य का , मुरझाया है रूप ।

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