1 टेसू खिले वसन्त में , वन में आग लगाय ।
विरहन को संताप दे , अंग अंग दहकाय ।
2 सरसों फूलें खेत में , मन में भरे उमंग ।
हवा दीवानी हो गई , चली सुमन के संग ।
3 रंग बिरंगे खिल गये , सुंदर सुंदर फूल ।
ऋतु बहार की आ गई , मौसम है अनुकूल ।
4 जग उपवन के सुमन हम , भांति भांति के रंग ।
मन मोहक मुस्कान है , रहते ख़ुशबू संग ।
5, तन कँपाती हवा बहे, पत्ते छोड़ें साथ ।
वसनहीन सब पेड़ हैं , बेबस दीन अनाथ ।
6 दिवस सुहाने उड़ गये , गुजरे दिन के संग ।
लम्बी रातें कर रहीं , आज भोर से जंग।
7 शीत लहर है चल रही , जमता सरिता नीर ।
बहते रिश्ते थम गये , मन है बहुत अधीर ।
8 धूप सुहानी लग रही , लग ठण्डी के अंग
आओ बैठें धूप में , खूब जमेगा रंग ।
9 शीत लहर से कांपती , खूब जड़ाती रात ।
धुंध कोहरा सब मिलें , हिम की चली बरात ।
10 शीत लहर ने हर लिया , उजला गोरा रूप ।
मुंह छुपा कर चल रही , भय से पीली धूप ।
11 मेघों के छल छद्म से , दिनकर हैं भय भीत ।
धूप लगती गुमसुम सी , तनिक न भाये शीत ।
12 सर्द हवा पहरा करे , रहती गुमसुम धूप ।
प्रखर प्रभामय सूर्य का , मुरझाया है रूप ।
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