Sunday 4 February 2018

दोहावली --**** नारी ****

1   नारी  शक्ति स्वरूप है ,    देती जीवन दान
     हर बाधा को पार कर , रखती सबका ध्यान ।

2   नारी शक्ति स्वरूपिणी , होती गुण की खान
     अवसर उसको जब मिले ,उसने दिया प्रमान  ।

3   बहन बेटी सखी यही ,    है यह देवी रूप
      नारी ही है सहचरी  ,   बदली में भी धूप ।
 
4    साहस दीप लिये चली ,    स्वयं बनाती राह
        चली चाँद पर पांव धर, इच्छा शक्ति अथाह ।

5    चार दिवारी पार कर ,    नाप लिया संसार 
      जब तक मिलीं न मंजिलें , कभी न माने हार ।
     

6   कोमल तन है मन प्रबल , मन की शक्ति अपार
     ठान कर  यदि निकल पड़े ,  करती बाधा पार  ।

7     नारी है वामांगिनी  , सरल सहज मन प्रीत
       सीधेपन ने छल लिया , जग की कैसी रीत  ।

8    जननी के मन  में सदा ,  ममता और दुलार 
      उसकी छाँव में रह कर ,  खुशियां मिले अपार ।  

9   बेटी  है चंचल नदी ,     बहती समतल धार
     घर की रौनक है यही ,   खुशबू भरी बयार ।

10  फूल सी नाजुक बिटिया , हमको इस पर नाज
       इसकी क्षमता देख कर , अचरज होता आज ।

11    चंदा की यह चांदनी     ,   सावन की बरसात
         घर की शोभा है बहन   , चहके  है दिन  रात ।

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