1 नारी शक्ति स्वरूप है , देती जीवन दान
हर बाधा को पार कर , रखती सबका ध्यान ।
2 नारी शक्ति स्वरूपिणी , होती गुण की खान
अवसर उसको जब मिले ,उसने दिया प्रमान ।
3 बहन बेटी सखी यही , है यह देवी रूप
नारी ही है सहचरी , बदली में भी धूप ।
4 साहस दीप लिये चली , स्वयं बनाती राह
चली चाँद पर पांव धर, इच्छा शक्ति अथाह ।
5 चार दिवारी पार कर , नाप लिया संसार
जब तक मिलीं न मंजिलें , कभी न माने हार ।
6 कोमल तन है मन प्रबल , मन की शक्ति अपार
ठान कर यदि निकल पड़े , करती बाधा पार ।
7 नारी है वामांगिनी , सरल सहज मन प्रीत
सीधेपन ने छल लिया , जग की कैसी रीत ।
8 जननी के मन में सदा , ममता और दुलार
उसकी छाँव में रह कर , खुशियां मिले अपार ।
9 बेटी है चंचल नदी , बहती समतल धार
घर की रौनक है यही , खुशबू भरी बयार ।
10 फूल सी नाजुक बिटिया , हमको इस पर नाज
इसकी क्षमता देख कर , अचरज होता आज ।
11 चंदा की यह चांदनी , सावन की बरसात
घर की शोभा है बहन , चहके है दिन रात ।
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