Monday 5 February 2018

दोहावली ---- नीति परक

1   शब्द शब्द में रस भरा ,बहती रस की धार
      शब्दों से रिश्ते जुड़ें ,बोलें भर कर प्यार  ।

2    शब्द शब्द को नमन है ,शब्दों में है सार
      शब्द शब्द में धार है , शब्द शब्द में प्यार ।

3    शब्द समय  लौटे नही,  अनगिन करें प्रयास
       वचन तीर बनकर चलें, ताकत इनमे खास  ।

4     बातों  बातोँ में कटे , वक्त न हाथ में आय
      पलक झपकते दिन उड़े , जीवन बीता जाय ।

5     राम राम की भोर है , सबकी राखे खैर 
       मिलें सभी को प्रेम से , मन में रखें न बैर ।

6     राम राम हिन्दू कहें , मुस्लिम कहें सलाम
      प्रभु से ही जन्मे सभी , जाना उसके धाम ।

7     मन लगा कर काम करें , मिलता लक्ष्य जरूर
       बेमन से न काम बने ,    रहे   सफलता  दूर  ।

8     नदिया के दो कूल हैं ,     बहे बीच में धार
       जीवन तो वह नाव है , सुख दुःख दो पतवार ।

9    शुभ कर्मों से सुख मिले , कर्म से मुख न मोड़
      आलस में मन डूबता ,     बात बनाना छोड़  ।

10   कर्म मनुज का धर्म है , फल है कृपा प्रसाद
       शुभ कर्म ही कर्तव्य है , प्रभु से  है  सम्वाद ।

11   हो आवश्यकता से अधिक ,तो है जहर समान
       उत्तम रहे विचार नित ,     सदा रखें यह  ध्यान ।

12    मानव व्यथा अनंत है , प्रभु की कथा समान
        चार दिनों की जिंदगी ,    पढ़ ले गीता ज्ञान। ।

13     लड़ता है हर व्यक्ति खुद , खुद से ही हर बार
          मिल जाती जब जीत तो ,  रहता है मन मार  ।
चलते चलते ये उम्र भी,है दे गई थकान
टूटे हैं अब पंख तो,मुश्किल बहुत उड़ान।
काम करें अब सोच के,खूब लगाएं ध्यान
बहुत गई थोड़ी बची, तब आता है ज्ञान ।
         
     
     

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