Wednesday 7 February 2018

दोहावली --- हाथ, कर हस्त

1   कर्म निष्ठ को भय नही  , खुद पर है विश्वास
     निज हाथों के हुनर से  , करता सदा विकास ।

2    सच्चा साथी है वही   , कभी न छोड़े साथ
      दुःख में साया  सा रहे , बढ़ कर थामे हाथ ।

3     एक हाथ से दान दे ,    दूजा  सके न जान
        सरल हृदय से दान हो , वही  सही है दान ।

4      जिनको अपने आप पर ,  हो पूरा   विश्वास
        साथ सदा किस्मत  रहे ,   कभी न टूटे आस ।

5    कर दर्शन की परम्परा  ,   रखती सोच विशाल
      बने सभी जन कर्म मय  ,    करती है खुश हाल ।

6     यही शक्ति  भन्डार  है,  भुज का बल  पहचान
       मुट्ठी में  सारा  जगत ,       कर सकता  इंसान  ।

7     हाथ जोड़ विनती करूँ ,    तुम्हें नवाऊँ माथ
       जब जब भटकूँ  राह में ,   प्रभु जी देना साथ ।     

8     हाथ जोड़ सबको नमन , रवि को करूँ प्रणाम
       जीवन बने प्रकाशमय ,   विनती  सुबहोशाम ।

9    हम पर  हो प्रभु की कृपा , मन में हो सदभाव
      तभी किनारे पर लगे   ,   डोल रही  जो नाव  ।

10   इन हाथों की शक्ति का , कितना करें बखान
        इन पर ही तो जग टिका , जग है कर्म प्रधान ।
      
,11  सब कुछ तो है  जगत में , कर्म करे वह  पाय
       कर्महीन जन सिर धुनें ,   रिक्त हस्त रह जाय ।
     
12  हाथ जोड़ रवि को नमन ,गुरु को करूँ प्रणाम
       जीवन बने प्रकाश मय , विनती सुबहो शाम  ।

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