1 कर्म निष्ठ को भय नही , खुद पर है विश्वास
निज हाथों के हुनर से , करता सदा विकास ।
2 सच्चा साथी है वही , कभी न छोड़े साथ
दुःख में साया सा रहे , बढ़ कर थामे हाथ ।
3 एक हाथ से दान दे , दूजा सके न जान
सरल हृदय से दान हो , वही सही है दान ।
4 जिनको अपने आप पर , हो पूरा विश्वास
साथ सदा किस्मत रहे , कभी न टूटे आस ।
5 कर दर्शन की परम्परा , रखती सोच विशाल
बने सभी जन कर्म मय , करती है खुश हाल ।
6 यही शक्ति भन्डार है, भुज का बल पहचान
मुट्ठी में सारा जगत , कर सकता इंसान ।
7 हाथ जोड़ विनती करूँ , तुम्हें नवाऊँ माथ
जब जब भटकूँ राह में , प्रभु जी देना साथ ।
8 हाथ जोड़ सबको नमन , रवि को करूँ प्रणाम
जीवन बने प्रकाशमय , विनती सुबहोशाम ।
9 हम पर हो प्रभु की कृपा , मन में हो सदभाव
तभी किनारे पर लगे , डोल रही जो नाव ।
10 इन हाथों की शक्ति का , कितना करें बखान
इन पर ही तो जग टिका , जग है कर्म प्रधान ।
,11 सब कुछ तो है जगत में , कर्म करे वह पाय
कर्महीन जन सिर धुनें , रिक्त हस्त रह जाय ।
12 हाथ जोड़ रवि को नमन ,गुरु को करूँ प्रणाम
जीवन बने प्रकाश मय , विनती सुबहो शाम ।
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