Saturday 17 March 2018

होली --के दोहे

1    ख़ुशबू अपने देश की , होली  का त्यौहार
      रंग लिये खुशियाँ खड़ी , बांटे सबको प्यार ।

2    धूम मची है रंग की ,बजते ढोल मृदंग
       गली गली में उड़ रहे , बड़े अनूठे रंग ।

3     होली की है धूम अब ,    रंगों की बौछार
       हंसी ठिठोली चल रही , खुशियों का त्यौहार ।

4      साल विदाई ले रहा ,   लग फागुन के अंग
        नया साल भी आ रहा ,  हंसी ख़ुशी के संग ।

5       रंग बिरंगे लोग हैं , उड़ता रंग गुलाल
          हवा  बावरी हो गई ,  चूमे सबके गाल ।

6        तरह तरह के वेश हैं , तरह तरह के रंग
          होली का ऐसा नशा , मचा हुआ  हुड़दंग ।

7       धरती से अम्बर सभी , होली खेलें खूब
         चुहल बाज मौसम बना , भंग रंग में डूब ।

8       रंगों ने हर एक के , मुख लाया मृदु हास
        चिंता की होली जली , मन उतरा मधुमास ।

9        चढ़ा प्रेम का रंग है , झूमे हैं सब लोग
         फागुन और वसन्त का ,अद्भुत है संजोग ।

  डॉ चन्द्रावती नागेश्वर

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