Sunday 22 April 2018

रोला - क्रमांक ( 2 ) ****4, 4,2018

11    भाषा भरे सुगन्ध , मधुर है अपनी बोली
          इसके  सुंदर  रंग ,  मोह ले मीठी गोली  |
         जीवन का वरदान ,  सभी को जोड़े भाषा
         इस पर है अभिमान  , करे पूर्ण अभिलाषा |

12    प्यारी प्यारी बात  , सुनाती कविता रानी
          सुंदर है सौगात  ,  दर्द की  कहे कहानी |
        दिल के यही करीब , दया का भाव जगाती
         ख़ुशी का हो अवसर , संग में यह मुस्काती |

13        हिंदी तेरा देश , गैर को गले लगाता 
           माँ को दे वनवास , और को शीश नवाता
          निज भाषा का गर्व ,खो कर बने अभिमानी
      स्वाभिमान का भान , किंचित करें न मनमानी |

14     मानवता का नाश , होता है प्रतिपल जहाँ
           नष्ट प्राय  मन भाव ,  कविता राहत दे यहाँ |
           कोमलता  कुछ शेष , भगाती दूर निराशा
          दूर खिला हो फूल  , जगाती मन की आशा |

15      जिसके सुंदर भाव ,  कर्म भी होता सुंदर
          देते   हैं  जो  घाव  , रखें विष मन के अंदर |
            करें सभी से प्रीत , फूल सा महके तन मन
           मिलता है तब चैन ,  बने यह जीवन उपवन |

16      करें  वतन से प्यार ,  तिरंगा थाम लिया है
         हम पर कर विश्वास  , सभी  कुर्बान किया है |
            देंगे कभी न घात   , खून की होली खेलें 
           हम तो वीर सपूत  ,  शान से   गोली झेलें |

17     रहे ज्ञान की प्यास ,  यही तो बहता झरना
          खुद पर कर विश्वास ,  सदा ही हंसते रहना
           आई  है  नव भोर   ,  भाग हमारे साथ है 
           आयें जग के काम ,    कर्म हमारे हाथ हैं |

18       भारत माँ के लाल ,   गर्व है तुम पर हमको
         घात करे जय चन्द , दिखा दो ताकत  उनको |
            दुश्मन के तुम काल  ,  पुत्र हो तुम धरती के
             रखो देश की आन ,आस हो तुम जगती के |

19         यह माटी का दीप , रत भर जलता  रहता
             लेकर रवि का नाम  , यही तो तम को हरता ।
              करे इष्ट का ध्यान ,   बना के तन को बाती 
              स्वप्न करे साकार  ,   गीत वह रचे प्रभाती |

20         सहते रहना ताप , स्वर्ण सम अगर चमकना
            मंजिल  चाहें आप , बिना श्रम पड़े भटकना ।
             मत कर सोच विचार , टले  नहीं कभी होनी
                भूल गये नादान ,  मिले फल जैसी  बोनी ।

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