Sunday 22 April 2018

रोला क्रमांक ( 5 )*******

  1         पूरब का पट खोल ,  धरा  ने शीश नवाया
            जल में श्रद्धा घोल ,  सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया ।
              पहने नव परिधान ,  राह में फूल बिछाती
            मन में है आभार ,  किरण को गले लगाती ।

2          ममता है अनमोल  ,गोद में इसकी पलते
          प्रभु के जो अवतार , प्रेम के वश में रहते ।
            पुरजन हैं परिवार  ,  दीन को गले लगाते
             पूजा है आभार   ,  कर्म का पाठ पढ़ाते। 

3         करें इसे स्वीकार  ,  भीड़ मेमनुज अकेला
             जीवन है दुश्वार  ,जगत रिश्तों का मेला ।
           सबके अपने राग , अलग है सबकी ढपली
      सुख तो कोमल धूप , दुःख घन घोर है बदली ।

4         मन में है आभार , राह में फूल बिछाती
       पहनें नव परिधान , किरण को गले लगाती ।
         धरती का यह प्यार, दूब पर मुकुट सजाना
   कलियों का मुख खोल, धरा का फिर मुसकाना ।

5          करे  अंधेरा  वार , दीप अब नया जलायें
           साथ चलेंगे  लोग , रीत  कुछ नया बनायें ।
          मिल कर करें प्रयास , हमे अब आगे बढ़ना
            लेकर नयी उमंग ,  नई कुछ  राहें गढ़ना ।

6            समर भूमि में वीर ,  शत्रु को मार भगाते
              भारत माँ के लाल,  देश पर जान लुटाते ।
         जीत बने आसान ,  गजब की हिम्मत इनकी
               देते हैं बलिदान ,   करें ये रक्षा  सबकी ।
  

7       हमें न आये रास , मौन  रह कर दुःख सह लें
        मन में है यह चाह , शक्ति को सञ्चित कर लें ।
              वीरों ने दी जान ,  उसी पथ पर है चलना
         इनको दें सम्मान ,  फर्ज हो जन हित करना ।
 

8          आया है फरमान , कलम की पूजा करना
            मन में लें संकल्प , झूठ से कभी न डरना।      
            यही बने तलवार  ,  धार अब पैनी कर लो
      भय कम्पित हो शत्रु , सभी में हिम्मत भर दो ।

9       बदलो  यह तस्वीर , बहुत दुःख धरती सहती
         लिखो नई तक़दीर , यही माँ वसुधा कहती ।
             बने नई पहचान , दिखा दो सारे जग को
         यह है हिंदुस्तान  , यही अब कह दें सबको ।

10      सौंपा है जो काम ,  इसे तुम पूरा करना
        होगा पथ आसान , सोच कर आगे चलना ।
            सूख गये उद्यान , दर्द तुम उनका पढ़ना
        प्रभु है तेरे साथ  , अलग अब रस्ता गढ़ना ।

11.   आई है फिर भोर,लक्ष्य तक राह नजर में
      होकर भाव विभोर, पांव तो चलें सफर में ।
        खुद को दें परवान, अगर जब रोके बाधा
         कितने हैं विद्वान, देख जिसने यह साधा ।

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1 comment:

  1. तेरी आंखों के सपनों का मतलब किस्मत गढ़ना है|

    इसका मतलब मौन हवा का तूफानों पर चढ़ना है|

    तुम जिन आंखों के तारे हो, याद करो उस पानी को|

    अरे जवानों याद करो तुम, ताकत भरी जवानी को|

    जो तूने ही मुख मोड़ा तो बाकी क्या रह जाएगा|

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