1 पूरब का पट खोल , धरा ने शीश नवाया
जल में श्रद्धा घोल , सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया ।
पहने नव परिधान , राह में फूल बिछाती
मन में है आभार , किरण को गले लगाती ।
2 ममता है अनमोल ,गोद में इसकी पलते
प्रभु के जो अवतार , प्रेम के वश में रहते ।
पुरजन हैं परिवार , दीन को गले लगाते
पूजा है आभार , कर्म का पाठ पढ़ाते।
3 करें इसे स्वीकार , भीड़ मेमनुज अकेला
जीवन है दुश्वार ,जगत रिश्तों का मेला ।
सबके अपने राग , अलग है सबकी ढपली
सुख तो कोमल धूप , दुःख घन घोर है बदली ।
4 मन में है आभार , राह में फूल बिछाती
पहनें नव परिधान , किरण को गले लगाती ।
धरती का यह प्यार, दूब पर मुकुट सजाना
कलियों का मुख खोल, धरा का फिर मुसकाना ।
5 करे अंधेरा वार , दीप अब नया जलायें
साथ चलेंगे लोग , रीत कुछ नया बनायें ।
मिल कर करें प्रयास , हमे अब आगे बढ़ना
लेकर नयी उमंग , नई कुछ राहें गढ़ना ।
6 समर भूमि में वीर , शत्रु को मार भगाते
भारत माँ के लाल, देश पर जान लुटाते ।
जीत बने आसान , गजब की हिम्मत इनकी
देते हैं बलिदान , करें ये रक्षा सबकी ।
7 हमें न आये रास , मौन रह कर दुःख सह लें
मन में है यह चाह , शक्ति को सञ्चित कर लें ।
वीरों ने दी जान , उसी पथ पर है चलना
इनको दें सम्मान , फर्ज हो जन हित करना ।
8 आया है फरमान , कलम की पूजा करना
मन में लें संकल्प , झूठ से कभी न डरना।
यही बने तलवार , धार अब पैनी कर लो
भय कम्पित हो शत्रु , सभी में हिम्मत भर दो ।
9 बदलो यह तस्वीर , बहुत दुःख धरती सहती
लिखो नई तक़दीर , यही माँ वसुधा कहती ।
बने नई पहचान , दिखा दो सारे जग को
यह है हिंदुस्तान , यही अब कह दें सबको ।
10 सौंपा है जो काम , इसे तुम पूरा करना
होगा पथ आसान , सोच कर आगे चलना ।
सूख गये उद्यान , दर्द तुम उनका पढ़ना
प्रभु है तेरे साथ , अलग अब रस्ता गढ़ना ।
11. आई है फिर भोर,लक्ष्य तक राह नजर में
होकर भाव विभोर, पांव तो चलें सफर में ।
खुद को दें परवान, अगर जब रोके बाधा
कितने हैं विद्वान, देख जिसने यह साधा ।
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तेरी आंखों के सपनों का मतलब किस्मत गढ़ना है|
ReplyDeleteइसका मतलब मौन हवा का तूफानों पर चढ़ना है|
तुम जिन आंखों के तारे हो, याद करो उस पानी को|
अरे जवानों याद करो तुम, ताकत भरी जवानी को|
जो तूने ही मुख मोड़ा तो बाकी क्या रह जाएगा|
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