Tuesday 24 April 2018

रोला क्रमांक 6-----***----

1            इससे कब इंकार, जिंदगी सब की  पूरी
                कट जाती बेकार, अन्त में लगे अधूरी ।
                बचा हुआ जो शेष,बहे हैं आंसू जिनके
              होगा यही विशेष,बांट लें दुख भी उनके ।

2        
          करें बड़ों का मान , दुआ ही उनकी फलती
      जीवन हो आसान, कली जीवन की खिलती ।
              सारे तीरथ धाम,चरण में उनके रहते
           जीवन होता धन्य, पुण्य फल सारे मिलते ।

3.      रितु है यह आजाद, मजे से यह झुलसाती
         बहुत करे उत्पात, अनल नभ से बरसाती ।
          नहीं पेड़ बिन छांव, हवा भी कहती जाती
       जल है जीवन जान, सभी को यह समझाती ।

    
 4      जितने हो अज्ञान ,भजन से हरि के मिटते
     गुरु के यह उपकार  ,गहन तम मन के हरते  l
        लोभ मोह मद संग,दोष सब ही मिट जाते
          नन्हे से ये दीप,सुबह तक साथ निभाते ।

5    अपने तक ही ज्ञान ,नहीं तुम सीमित रखना
      जग का हो कल्यान ,यही तुम करते रहना ।
       सबकी यही सलाह, बंटे तो दुख घटता है
       रखना इसको याद, बंटे से सुख बढ़ता  ।

6      सुलग रहा दिन रात, आग में तपता रहता
     वही चमकता स्वर्ण , ताप जो भीषण सहता ।
      रोप सृजन के बीज, हिफाजत उसकी करता
श्रम जल से फिर सींच, फसल का स्वामी बनता ।

7 -लय पर देना ध्यान,शब्द को चुन चुन कर धरना
     शब्द शक्ति शिव ज्ञान,भाव यह मन में करना ।
          पावन पूजन कर्म, तभी लेखन बन पाता
        उर में रहे उछाह, सभी के मन को भाता ।

8   मिला न कोई खेत, अभी तक दिल के जैसा
           देता सूद समेत ,बीज जो बोता वैसा ।
         बिन पानी बिन खाद,यही तो देती इतना
     बोकर कुछ तो देख, भूमि भी देती कितना ।

9  ,दिखता है यह लाल  ,गोल है थाली जैसा
     लाता हर दिन भोर, हाथ मे रख कंदुक सा ।
         सदा ये मंगल दीप, जला  है  द्वारे  तेरे
            बांधे  बंदनवार , रहे नित यही सबेरे।

10  ऐसा किया विकास ,दूर है कथनी करनी
       भूल करें जो आज, पीढ़ी भरेगी भरनी ।
    होते हैं कुछ  कर्ज ,  पीढ़ियों तक जो चलते
     मात -पिता के बाद  , उसे ही बेटे भरते ।

11   छोटी छोटी बात,नहीं तुम मन में रखना
     कर जाते कमजोर, दूर इन सबसे रहना ।
      रखना अपनी सोच सदा ही ऊंची करके
रहना तुम खुश हाल, दुआ मिलती जी भरके ।
   

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1 comment:

  1. हे तरुणाई के दीपक तू चिर सजग उजियारा है|

    तू पाहन की छाती में से बहने वाली धारा है|

    अंधियारे अंबर में तू तो सूर्य किरण की भांति है |

    तू तो आशा के दीपक में जलने वाली बाती है|

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