1 पेड़ करें उपकार, धरा में जड़ें जमाये
पहरा दें दिन रात, हवा में शीश उठाये।
इससे कब इनकार,मौज रितु संग मनाते
रखना इनका ध्यान, जगत हित में लुट जाते ।
,
2 करना हो यदि दान ,सही पथ हमें दिखाता
लेकर के संकल्प , जूझना हमें सिखाता ।
सुंदर मोहक जोत , हृदय में सदा जलाये
माटी का यह दीप, रौशनी जग में लाये ।
3 पाते हैं सम्मान , काम जो बढ़िया करते
सारा जग परिवार , भाव यह मन में रखते ।
तरुवर देते दान , सभी को शीतल छाया
नदिया बांटे नीर , सदा ही पुण्य कमाया ।
4 विहग वृन्द के गीत,पर्व की सुंदर बेला
झूम रहे हैं पुष्प ,ख़ुशी का लगता मेला ।
उड़ती तितली दूर, उतारी है मन में नदी
उम्र की दहलीज पर ,रीत रही है यह नदी ।
5 कभी करे नहीं भेद, बड़ा दयालु है कुदरत
बनाया सूरज चाँद , सभी पर उसकी रहमत ।
जीवन के दिन चार , व्यर्थ न फेंकें अन्न को
सब मिल खावें बाँट ,दुखी करें न प्रसन्न को ।
6 मन है तीरथ धाम, सभी को निर्मल करता
दया -प्रेम उदगार, हृदय में सबके भरता ।
जीवन का वरदान,जगत को देते सविता
थाम प्रीत की डोर, गगन में उड़ती कविता ।
7 करे निवेदन मौन, प्यास से आकुल धरती
सुन लो हे भगवान ,मेघ से मन में कहती ।
प्यासे हैं सब जीव , सभी की प्यास बुझाओ
सुनकर आज पुकार , वरुण देव तुम आओ ।
8 पूजा ही है प्यार ,आज मैं तुमसे कर लूं
करो अगर मंजूर ,महक सांसों में भर लूं ।
चढ़ा प्रीत का रंग , पास तुम मेरे आना
तुमसे ही संसार , सदा मन में बस जाना ।
9 करे अंधेरा वार, दीप अब नया जलायें
साथ चलेंगे लोग , रीत कुछ नया बनायें ।
मिल कर करें प्रयास , हमे अब आगे बढ़ना
लेकर नई उमंग, नयी कुछ राहें गढ़ना ।
10. समय समय की बात ,दिन ये तुमने दिखाये
बैरन काली रात , दिल में यादें छुपाये ।
सदा किया भय भीत , रहे तुम कभी हमारे
किया सभी प्रयास , नहीँ हम मन से हारे ।
11 तिनका तिनका जोड़,वही ममता बरसाती
जागे सारी रात , थपक कर हमें सुलाती ।
देती हमे दुलार , कष्ट सब छुपकर सहती
मां तो है वरदान ,दुआ वह देती रहती |
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