Thursday, 5 April 2018

रोला क्रमांक 3 -****- 7 --4 --2018

1         पेड़ करें उपकार, धरा में जड़ें जमाये
          पहरा दें दिन रात, हवा में शीश उठाये।
        इससे कब इनकार,मौज रितु संग मनाते
     रखना इनका ध्यान, जगत हित में लुट जाते ।

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2          करना हो यदि दान ,सही पथ हमें  दिखाता
             लेकर के संकल्प ,  जूझना   हमें  सिखाता ।
            सुंदर मोहक जोत  , हृदय में सदा जलाये
             माटी का यह दीप,  रौशनी  जग में  लाये ।

3          पाते हैं सम्मान , काम जो बढ़िया करते
            सारा जग परिवार , भाव यह मन में रखते ।
            तरुवर देते दान , सभी को शीतल छाया
            नदिया बांटे नीर  , सदा ही पुण्य  कमाया ।

4           विहग वृन्द के गीत,पर्व की सुंदर बेला
             झूम रहे हैं पुष्प ,ख़ुशी का लगता मेला ।
             उड़ती तितली दूर, उतारी है मन में नदी
           उम्र की दहलीज पर ,रीत रही है यह नदी ।

5         कभी करे नहीं भेद,  बड़ा दयालु है कुदरत
          बनाया सूरज चाँद , सभी पर उसकी रहमत ।
          जीवन के दिन चार , व्यर्थ न फेंकें अन्न को
         सब मिल खावें बाँट ,दुखी करें न प्रसन्न को ।

6      मन है तीरथ धाम,  सभी को निर्मल करता
        दया -प्रेम  उदगार, हृदय में सबके भरता ।
       जीवन का वरदान,जगत को देते सविता
        थाम प्रीत की डोर, गगन में उड़ती कविता  ।

7       करे निवेदन मौन,  प्यास से आकुल धरती 
          सुन लो हे भगवान ,मेघ से मन में कहती ।
        प्यासे हैं सब जीव , सभी की प्यास बुझाओ
       सुनकर आज पुकार , वरुण देव तुम आओ ।

8            पूजा ही है प्यार ,आज मैं तुमसे कर लूं
             करो अगर मंजूर  ,महक सांसों में भर लूं  ।
              चढ़ा प्रीत का रंग  , पास तुम मेरे आना
            तुमसे ही संसार  , सदा मन में  बस जाना ।

9             करे अंधेरा वार, दीप अब  नया जलायें
            साथ चलेंगे लोग , रीत कुछ नया बनायें ।
         मिल कर करें प्रयास , हमे अब आगे बढ़ना
             लेकर नई उमंग, नयी कुछ राहें गढ़ना ।

10.         समय समय की बात ,दिन ये तुमने दिखाये
               बैरन काली रात ,      दिल में यादें छुपाये ।
              सदा किया भय भीत , रहे तुम कभी हमारे
              किया सभी प्रयास  , नहीँ हम मन से हारे ।

11     तिनका तिनका जोड़,वही ममता बरसाती
           जागे सारी रात , थपक कर हमें सुलाती ।
            देती हमे दुलार , कष्ट सब छुपकर सहती
             मां तो है वरदान ,दुआ वह देती  रहती |

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